झारखंड -बिहार : कांग्रेस के बदले रूख से टेंशन में क्यों है गठबंधन के दल, पढ़िए इस रिपोर्ट में !
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धनबाद (DHANBAD) : बिहार में कांग्रेस और राजद का गठबंधन रहेगा कि टूटेगा, यह सवाल पहले से ही तैर रहे थे. इस बीच कांग्रेस के नए प्रभारी ने गुरुवार को बिहार पहुंचकर जो कुछ कहा, उससे निश्चित रूप से राजद का टेंशन बढ़ गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या? कांग्रेस ने बिहार और झारखंड का प्रभारी बदलकर एक नया और बड़ा संदेश दे दिया है. पटना में गुरुवार को नए प्रभारी ने कहा कि अब चुनाव में बारात के नहीं, बल्कि रेस के घोड़े दौड़ाये जाएंगे. बिहार में कांग्रेस पूरी ताकत से लड़ेगी और जीतेगी भी. बिहार के नए प्रभारी कृष्ण अल्लावारु बनाये गए है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेवारी दी है, उसकी पूरी ईमानदारी से निर्वहन करूंगा.
चुनौती चाहे जो भी हो, मजबूती से लड़ेंगे
सभी कार्यकर्ता और नेताओं के साथ मिलकर काम करूंगा. पटना पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि बिहार, कांग्रेस के लिए पुरानी जगह है. सबके साथ मिलकर कांग्रेस को फिर से मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली है. मजबूती से काम करेंगे और पार्टी को मजबूत बनाएंगे. इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनौती जैसे भी हो, पूरी मेहनत करेंगे और मिलजुल कर उसका मुकाबला करेंगे. कांग्रेस के नए प्रभारी बिहार में 3 दिन तक रहेंगे. इधर, झारखंड के कांग्रेस प्रभारी के राजू भी शुक्रवार को रांची पहुंच रहे है. झारखंड में वह चार या पांच दिन तक रहेंगे.
झारखंड-बिहार में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की कवायद
झारखंड और बिहार में कांग्रेस संगठन को मजबूत करना अब कांग्रेस की प्राथमिकता सूची में है. कांग्रेस संगठन अब नए फार्मूले पर बनेगा. कहा जाता है कि पार्टी की प्रदेश कमेटी से लेकर अन्य कमेटियों तक नई नीति के साथ काम होगा. हो सकता है कि कांग्रेस प्रदेश कमेटी में हर बार जगह पाने वाले नेताओं की छुट्टी हो सकती है. अब प्रदेश की जंबो जेट कमेटी नहीं चलेगी. कांग्रेस की परंपरा रही है कि आमंत्रित और विशेष आमंत्रित सदस्य बना कर दर्जनों लोगों को शामिल कराया जाता रहा है. लेकिन अब लगता नहीं है कि ऐसा होगा. झारखंड आने से पहले ही के राजू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश को दिल्ली बुलाकर पार्टी के बारे में सब कुछ जान -समझ लिया है. फिलहाल कांग्रेस की प्रदेश कमेटी का गठन नहीं हुआ है.
अलग अलग समिति में अलग-अलग लोग रखे जा सकते है
बताया जाता है कि कांग्रेस के नए प्रभारी ने कहा है कि पॉलीटिकल अफेयर्स कमिटी या अन्य कमेटी में शामिल नेताओं को प्रदेश की टीम में शामिल करने की जरूरत नहीं है. हर कमेटी अलग-अलग काम करें और सब अपना टारगेट पूरा करे. संगठन में भी जिसकी जितनी हिस्सेदारी है, उसकी उतनी भागीदारी का फार्मूला तय हो. ग्रास रूट के नेताओं को आगे बढ़ाया जाए, जिससे कमेटी में जातीय वर्ग और उम्र का पूरा संतुलन हो जाए. इसके साथ ही जिला अध्यक्षों को लेकर भी जानकारी हासिल की गई है. जिले में नए लोग भी आ सकते है. देखना है कि झारखंड और बिहार को लेकर जिस तरह संगठन में काम शुरू हुआ है, आगे इसका क्या परिणाम निकलता है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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