धनबाद(DHANBAD): सवाल बड़ा है कि आखिर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का टुंडी से मोह टूट क्यों नहीं रहा है. आखिर टुंडी सीट क्यों फंसी हुई है. भाजपा क्यों नहीं टुंडी सीट पर उम्मीदवार दे रही है. ऐसे कई सवाल हैं, जो टुंडी के वोटरों को भी मथ रहे है. एक तरह से कहा जाए तो टुंडी विधानसभा सीट पर भाजपा की भी नजर है. तो आजसू भी टकटकी लगाए हुई है. वैसे, टुंडी सीट भाजपा के खाते में गई है, बावजूद पेंच फंसा हुआ है. सिल्ली से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी उम्मीदवार उतार दिया है. आजसू तो सिल्ली से सुदेश महतो को पहले से ही उम्मीदवार घोषित की हुई है. अमित महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के सिल्ली से उम्मीदवार है. एक समय अमित महतो के हाथों सुदेश महतो पराजित हो गए थे.
सिल्ली के अलावा एक और सुरक्षित सीट खोज रहे है सुदेश महतो
इस बार भी सुदेश महतो सिल्ली के अलावा एक और सीट खोज रहे है. इसके लिए सुदेश महतो टुंडी में सर्वे का काम करा रहे है, ऐसा सूत्रों ने दावा किया है. कई लोगों की टीम टुंडी क्षेत्र में दौरा कर रही है और वोटरों की नब्ज टटोल रही है. सूत्र बताते हैं कि सुदेश महतो टुंडी से भी चुनाव लड़ना चाहते है. भाजपा ने उन्हें भरोसा दे रखा है कि अगर वह खुद टुंडी से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा इस सीट को आजसू खाते में दे सकती है. आजसू को गठबंधन में 10 सीट मिली है. अगर टुंडी सीट भी आजसू के खाते में जाती है ,तो सीटों की संख्या बढ़कर 11 हो जाएगी. सूत्र ने यह भी दावा किया है कि सुदेश महतो ने 25 अक्टूबर तक का समय भाजपा से लिया है. अगर वह टुंडी से चुनाव लड़ने को तैयार हो गए तो भाजपा टुंडी सीट उनके लिए छोड़ देगी.
25 तक का समय दिया है भाजपा ने सुदेश महतो को
सूत्रों का दावा है कि आजसू की ओर से 70 लोगों की टीम अलग-अलग दल में बंटकर मतदाताओं के मिजाज को जानने की कोशिश में लगी हुई है. यह परखना चाहती हैं कि टुंडी सीट पर अगर आजसू सुप्रीमो खड़े होते हैं तो परिणाम क्या होगा? टुंडी सीट पर आजसू को सफलता मिल चुकी है. झारखंड के पुरोधा विनोद बिहारी महतो के पुत्र टुंडी से आजसू के टिकट पर विधायक चुने गए थे. फिलहाल झामुमो के मथुरा प्रसाद महतो टुंडी से विधायक है. आज शुक्रवार को मथुरा प्रसाद महतो ने टुंडी से नामांकन भी कर दिया है. मथुरा बाबू लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा से भी किस्मत अजमाया था. लेकिन आजसू के चंद्र प्रकाश चौधरी के हाथों वह पराजित हो गए थे. फिर वह टुंडी से किस्मत आजमा रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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