धनबाद(DHANBAD): कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को लेकर चर्चाओं का बाजार कभी नरम तो कभी गरम हो रहा है. पिछले 48 घंटे से यह स्थिति बनी हुई है. इसके पीछे भी कई कारण है. भाजपा में जाने की चर्चा कुछ यूं ही नहीं उठी है. मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उनके मन में जो नाराजगी है, उस वजह से पार्टी छोड़ने की बात को और हवा मिल रही है. इसमें कोई संदेह नहीं की चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता हैं. कोल्हान में उन्हें कोल्हान टाइगर के नाम से कहा और पुकारा जाता है. कोल्हान की 14 सीटों में से 13 सीटें इंडिया ब्लॉक के पास हैं. जबकि एक सीट पर निर्दलीय विधायक सरयू राय चुनाव जीते थे.
सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्वी सीट से हराया था. भाजपा के मन में इस बात की कसक है और वह इस विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा करना चाहती है. यह अलग बात है कि लोकसभा चुनाव में गीता कोड़ा को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा में लाने का उसे बहुत बड़ा फायदा नहीं मिला. लेकिन अब निश्चित रूप से वह झामुमो से निष्कासित विधायक लो बिन हेंब्रम के कंधे पर बंदूक रखकर कोल्हान को साधने की कोशिश कर रही है. शनिवार को हेंब्रम चंपई सोरेन से जब मिलने पहुंचे, तो इस बात को और हवा मिली. वैसे दोनों ने इसे सामान्य मुलाकात बताया है. चंपई सोरेन ने भी कहा कि जहां अभी वह हैं, वहीं रहेंगे. लो बिन उनके पुराने साथी रहे हैं. मिलने के लिए आए थे. जो भी हो लेकिन कुछ ना कुछ खिचड़ी तो पक रही है .लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा इस मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं. इस संबंध में पार्टी स्तर पर कुछ नहीं कहा जा रहा है .मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब जेल गए थे, तो चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई थी, लेकिन हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद चंपई सोरेन को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. निश्चित रूप से इसकी चंपई सोरेन के मन में टीस है. यह बात भी सच है कि संथाल की तरह कोल्हान में भी भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और इसके लिए उसे चंपई सोरेन से बेहतर कोई नेता दिख नहीं रहा है.
नतीजा है कि अफवाह उड़ रही है. लेकिन परिस्थितियों बताती है कि यह अफवाह पूरी तरह से कोरा हो नहीं सकता. राजनीति में कब कौन किस करवट बैठेगा, यह कहना मुश्किल होता है. भाजपा इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर काफी सीरियस है. वह चुनाव जीतने के लिए कड़ी दर कड़ी जोड़ रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में सेंधमारी करने में वह कितनी सफल हो पाती है. वैसे हेंब्रम ने तो घोषणा कर दी है कि वह भाजपा में शामिल होंगे और बोरियों से चुनाव लड़ेंगे. चंपई सोरेन अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा से फिसलते हैं तो उन्हें आगे कितना फायदा होगा ,यह तो समय ही बताएगा.
रिपोर्ट-सत्य भूषण सिंह
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