पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों रुपए का कर दिया बंदर बांट,सिविल सर्जन पर लग रहे हैं ये आरोप
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पश्चिमी सिंहभूम : पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा स्थापना मद में सिविल सर्जन को साढ़े चार करोड़ की राशि दी गई थी जिसकी बन्दर बांट किए जाने की चर्चा जोरों पर है.आपको बताये कि सिविल सर्जन और सभी प्रभारी की मिली भगत से फर्जी अभिश्रव से निकासी की सूचना मिल रही है. जिसकी जांच निगरानी विभाग से कराने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार सिविल सर्जन के द्वारा किसी दवा सप्लाई करने वाले माफिया गिरोह से बिना टेंडर प्रक्रिया के दवा सप्लाई लिया गया है, जो जांच होने पर खुलासा हो सकता है.
जिला के सभी स्वास्थ्य केंद्र में डिजिटल XREY तक नहीं है
वही सिविल सर्जन ने मात्र कमिशन के लिए स्वास्थ्य उपकरण भी लिए हैं, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है. उपकरण और संयंत्रण अस्पताल की शोभा बढ़ाने का काम कर रही है. इतने बड़े अस्पताल में MRI, सिटी स्कैन, डायलिसिस की सुविधा नहीं दी जाती है. जिला के सभी स्वास्थ्य केंद्र में डिजिटल XREY तक नहीं है, .
स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी की भूमिका संदिग्ध माना जा रहा है
सूत्रों के अनुसार सिविल सर्जन शुशांत मांझी विभागीय मंत्री इरफ़ान अंसारी के भाई इमरान अंसारी का वरदहस्त प्राप्त होने के दम पर स्वास्थ्य विभाग की राशि में मनमानी करने की चर्चा जोरों पर है. सूत्रों के अनुसार मांझी के द्वारा बीस पर्सेंट कमिशन वसूली करने का मामला निगरानी विभाग में पहुंचाया जा सकता है. स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी की भूमिका संदिग्ध माना जा रहा है. मांझी के वाट्स ऐप चैट और कॉल डिटेल से भ्रष्टाचार के और भी कई मामला उजागर हो सकता है. मांझी के कार्यशैली और कार्य संस्कृति से स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है. जनता त्राहिमाम कर रही है.मरीज बेबस असहाय नज़र आ रहे हैं. यूं कहा जा सकता है कि जिला की स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे पर है. मांझी के द्वारा जो दवा सप्लाई लिया गया है, उसकी जांच भी जरूरी है.
रिपोर्ट-संतोष वर्मा/ चाईबासा
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