धनबाद (DHANBAD) : धनबाद की झरिया ,नीचे भूमिगत आग और जमीन के ऊपर बिंदास जिंदगी. यही है इस शहर की पहचान लेकिन अब यह पहचान खत्म होती जा रही है, क्योंकि आग अब आदमखोर हो गई है. इधर, झरिया पुनर्वास की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर झारखंड सरकार के अलावे सभी ने सोमवार को दिल्ली में हस्ताक्षर कर दिए लेकिन झारखंड के मुख्य सचिव दिल्ली नहीं जा पाए और हस्ताक्षर नहीं हुआ. ड्राफ्ट प्लान पर झारखंड सरकार के मुख्य सचिव का हस्ताक्षर जरूरी है, क्योंकि पुनर्वास तो झरिया में ही होना है. इसके पहले कोयला सचिव धनबाद आए थे ,उन्होंने कई जगहों पर रैयतों से बात की थी. उन्हें समझाया और जल्द से जल्द खतरनाक स्थानों को खाली करने की अपील की. इसके बाद पुनर्वास के लिए नई ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई है.
झारखंड के मुख्य सचिव का भी हस्ताक्षर जरुरी है
इस जांच रिपोर्ट पर सबका हस्ताक्षर होना जरूरी है. वैसे सूत्र बताते हैं कि इस ड्राफ्ट रिपोर्ट को झारखंड सरकार को भेजा जाएगा, सोमवार को ड्राफ्ट रिपोर्ट पर कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ,कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ,बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता ,सीएमपीडीआई एल के पूर्व सीएमडी शेखर शरण , आई आई टी आईएस एम के प्रोफेसर भट्टाचार्य ने हस्ताक्षर किये. झरिया क्षेत्र के भूमिगत आग प्रभावित इलाकों के लगभग 1.4 लाख परिवारों के लिए पुनर्वास का संशोधित मास्टर प्लान तैयार हुआ है. पूर्व की पुनर्वास योजना पूरी नहीं होने के बाद नई योजना बनाई गई है. इसी महीने दिल्ली में ड्राफ्ट रिपोर्ट पर सभी संबंधित पक्षों के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. उस समय तो झरिया मास्टर प्लान के तैयार प्रारूप पर सभी पक्षों ने सहमति जताई थी. बैठक में झारखंड के मुख्य सचिव भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे. झारखंड सरकार की स्वीकृति के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन झारखंड सरकार आगे क्या करेगी,इसपर सबकी निगाहें टिकी हुई है.
मुआवजा की राशि को लेकर हो सकती है असहमति
झारखंड सरकार भी चाहती है कि पुनर्वास हो , क्योंकि घटनाएं झारखंड के झरिया में ही हो रही है. हो सकता है कि झारखंड सरकार मुआवजा की राशि आदि पर असहमति व्यक्त करते हुए इसे बढ़ाने का सुझाव दे. ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार झरिया में पुनर्वास के लिए 556 जगहों की पहचान की गई है. सरकार ने तय किया है कि यह राष्ट्रीय आपदा है, ऐसे में विस्थापित होने वाले लोगों को भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत मुआवजा दिया जाएगा. पुनर्वास योजना पर 6000 करोड़ कोल इंडिया खर्च करेगी, इसके अलावा 4000 करोड़ रुपए उपलब्ध है. इसके बाद भी अगर पैसे की कमी होगी तो केंद्र सरकार अथवा कोल इंडिया इसका बहन करेंगे. आपको बता दें कि झरिया पुनर्वास योजना देश की सबसे बड़ी पुनर्वास योजना थी और है. यह योजना तो शुरू हुई लेकिन ट्रायल मेथड ने इस योजना का बंटाधार कर दिया.
4+