टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने चार वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी दी. इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व विभाग बेहतर काम कर रहा है. सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के कांफ्रेंस हाल में मीडिया को जानकारी दी . इस दौरान बताया गया कि झारखंड पूरे देश में पहला ऐसा प्रदेश है, जिसने बीज वितरण में ब्लॉक चेन प्रणाली लागू की है. इस प्रयास की पूरे विश्व में चर्चा हुई है.
1.30 लाख क्विंटल बीज का वितरण
सुखाड़ के बावजूद इस वर्ष 1.30 लाख क्विंटल बीज का वितरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया गया है. वहीं कृषि ऋण माफी योजना के तहत स्टैंडर्ड केसीसी में अब तक 8 लाख ऋणी किसान को शामिल किया गया है. अब तक 4 लाख 62 हजार से ज्यादा किसानों को डीबीटी के माध्यम से 1858.3 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है.
दूध संग्रहण में इजाफा
दूध उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूध का संग्रहण 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 2.5 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है. जबकि, किसानों को 3रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जा रही है. करीब 38 हजार किसान इस योजना से लाभान्वित हुए हैं. मुख्यमंत्री पशुधन योजना में अब तक 10 लाख से ज्यादा लाभुकों को अनुदान की राशि दी गई है.
बालू की होगी होम डिलीवरी शुरू
खान और भूतत्व विभाग की जानकारी देते हुए अबू बकर सिद्दिकी ने बताया कि राज्य में झारखंड खनिज विकास निगम द्वारा तेलंगाना राज्य की तर्ज पर सैंड टैक्सी पोर्टल को मार्च 2024 तक लागू किया जायेगा. पोर्टल पर पंजीकृत ट्रैक्टर वाहनों के मालिकों, नागरिकों और उपभोक्ताओं को बालू का ऑर्डर देने के 48 घंटे के अंदर बालू गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जायेगा. वर्तमान में 14 खनिज ब्लॉकों को नीलामी के लिये तैयार किया गया है. लघु खनिज की नीलामी की जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड में पहली बार झारखंड स्टेट सैंड माइनिंग पॉलिसी 2017 के अनुसार कुल 351 बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया निगम के द्वारा उपायुक्त के माध्यम से की जायेगी.
खदानों की निलामी
2023-24 में कुल तीन कोयला खदानों की नीलामी की गयी है. साथ ही गैर कोयला खदानों में अभी तक कुल 10 खनिज ब्लॉक खदानें नीलाम की जा चुकी हैं, जिसमें लौह, स्वर्ण, चूना पत्थर और बॉक्साइट आदि की खदान हैं. अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए माइंस सर्विलांस सिस्टम फॉर माइनर मिनरल लागू किया जा रहा है, जो सेटेलाइट आधारित है. इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गोड्डा और पाकुड़ में एमएसएस और जेएसएसी के सहयोग से लागू किया जा रहा है.
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