दुमका(DUMKA):लंबे समय से दुमका में बीजेपी अंतर्कलह से जूझ रही है.लोकसभा चुनाव परिणाम में पराजय मिलने के बाद गुटबाजी जगजाहिर हो गया.ऐसा देखा जा रहा है कि ज्यों ज्यों खेमेबाजी समाप्त करने का प्रयास किया गया त्यों त्यों एक नया गुट बनता गया. दुमका में गत एक दशक के पार्टी इतिहास को देखें तो यहां के कार्यकर्ता पूर्व मंत्री डॉ लुइस मरांडी और पूर्व सांसद सुनील सोरेन के खेमे में बंटे नजर आते थे.इस सबके बीच तत्कालीन सीएम रघुवर दास के कुछ चहेते कार्यकर्ता थे, जो दोनों गुटों को साथ लेकर चलने का प्रयास करते रहे. यह अलग बात है कि रघुवर दास के सीएम से हटते ही इन कार्यकर्ताओं को रघुवर गुट कहा जाने लगा.
बाबूलाल मरांडी भी समाप्त नहीं करवा पाए बीजेपी का अंतर्कलह
वर्ष 2019 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी के पराजय के साथ ही आया पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी का दौर.बाबूलाल मरांडी की घर वापसी हुई.दुमका बाबूलाल की कर्मस्थली रही है.लगा कि अब गुटबाजी समाप्त होगा, लेकिन ऐसा होने के बजाय एक नया गुट बन गया.बात यहीं समाप्त नहीं हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक नया गुट सामने आया.सोरेन परिवार की बड़ी पुत्रबधू सीता सोरेन ने पार्टी और परिवार से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया.पार्टी ने उन्हें प्रत्यासी बनाकर मैदान में उतार दिया. चुनाव में सीता सोरेन को पराजय का सामना करना पड़ा. हार से बौखलाई सीता सोरेन ने ना केवल दुमका बल्कि झारखंड बीजेपी की बखिया उधेड़ कर रख दी.
रघुवर दास से मिलने कई गुटों के नेता और समर्थक पहुचे थे बासुकीनाथ
इस सबके बीच एक सुखद नजारा गुरुवार को देखने को मिला जब पूर्व सीएम सह ओडिसा के राज्यपाल बासुकीनाथ धाम पूजा अर्चना करने प पहुंचे थे.खेमेबाजी से ऊपर उठकर विभिन्न गुटों के नेता और समर्थक रघुवर दास का स्वागत करने जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बासुकीनाथ पहुचे थे.
भीड़ में आम लोगों की निगाहें ढूंढ रही थी सीता सोरेन को
भीड़ में पूर्व मंत्री डॉ लुइस मरांडी और सीता सोरेन नजर नहीं आयी.हो सकता है कि जिला से बाहर रहने के कारण दोनों नेत्री नहीं पहुंच पायी.आम लोगों की निगाहें भी सीता सोरेन को ढूंढती नजर आयी क्योंकि सोरेन परिवार पर सबसे ज्यादा तंज रघुवर दास ने ही कसा था. लोग उसी सोरेन परिवार की बड़ी पुत्रबधू द्वारा रघुवर दास का स्वागत करते देखना चाहते थे.ओडिसा के राज्यपाल बनकर बासुकीनाथ पहुचे रघुवर दास ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को निराश नहीं किया. सभी कार्यकर्ताओं से बारी बारी से मिलकर कुशल पूछते नजर आए.
कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं रघुवर दास
महज कुछ घंटों का रघुवर दास का बासुकीनाथ दौरा ने यह साबित कर दिया कि नेतृत्व क्षमता आज भी उनमें बरकरार है.एक कुशल प्रशासक के रूप में ना केवल पार्टी कार्यकर्ता बल्कि आम जनता आज भी उन्हें याद करती है. झारखंड बीजेपी को जरूरत है एक ऐसे नेता की जो गुटबाजी समाप्त कर सभी को एक साथ लेकर आगे बढ़े.तभी विधानसभा चुनाव में पार्टी की नैया पार हो सकती है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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