5 से 10 गुणा ज्यादा पैसा देकर मरीज बाहर करा रहे जांच, जानिये रिम्स की कथा-व्यथा


रांची(RANCHI): राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स पर इलाज के लिए झारखंड की ज्यादातर आबादी निर्भर रहती है. लेकिन रिम्स के सेंट्रल लैब पैथोलॉजी में 70% के करीब जांच बंद है. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इलाज कराने आये मरीजों को अस्पताल के बाहर निजी पैथोलॉजी में पांच से दस गुणा ज्यादा पैसा देकर जांच कराना पड़ रहा है. इस संबंध में रांची से प्रकाशित एक दैनिक ने खबर भी छापी है.
दरअसल, रिम्स के पैथोलॉजी में 33 तरह के पारामीटर पर जांच होती है, लेकिन फिलहाल हालत ये है कि सूबे के सबसे बड़े अस्पताल में मात्र छह तरह की ही जांच की जा रही है. मरीजों को मजबूरी में ये जांच बाहर कराना पड़ रहा है और उनके जेब से काफी पैसे खर्च हो रहे हैं. इतना ही नहीं जानकारी ये भी है कि अगले 2-3 दिनों के अंदर अन्य जांच भी बंद हो जाएगी. जांच बंद होने का मुख्य कारण रिएजेंट (विशेष केमिकल) की खरीद न होना माना जा रहा है.
3400 से 70 से 80 हो गई रोज जांच की संख्या
बता दें कि रिएजेंट (विशेष केमिकल) नहीं होने के कारण जांच की संख्या में काफी कमी आई है. फिलहाल ये संख्या 70 से 80 तक हो गई है. वहीं, दो हफ्ते पहले तक ये संख्या 3400 थी. जांच की संख्या इतनी कमी के बावजूद रिएजेंट की खरीद नहीं की जा रही है. इसके अलावा रिम्स परिसर में बने मेडॉल में भी मरीजों को जांच रिपोर्ट देने के लिए कागज भी नहीं हैं. ऐसे में मरीजों को मोबाइल में थॉयरॉइड, लिपिड प्रोफाइल, डी डीमर एलएफटी जांच बंद है.
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