धनबाद(DHANBAD): झारखंड के भाजपा सांसदों की सांसे फुल रही है. पार्टी उनकी लोकप्रियता और गतिविधियों का सर्वे करा रही है. सांसदों के कामकाज का आकलन किया जा रहा है. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व इस बार कहीं से कोई चूक करना नहीं चाहता है. वह समझ रहा है कि 2024 का चुनाव 2014 या 2019 के चुनाव की तरह नहीं होगा. भाजपा नेतृत्व गंभीर है और इसके लिए ठोस राजनीति पर काम शुरू कर दिया गया है. झारखंड में 14 लोकसभा सीट हैं, जिनमें 12 पर भाजपा का कब्जा है. 12 पर कब्जा रखना या फिर 14 पर जीत दर्ज करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व भाजपा के सांसदों का वजन तौल रहा है. सांसदों के कामकाज का आकलन किया जा रहा है. सक्रियता का फीडबैक भी लिया जा रहा है और किसने क्या किया है, और लोगों के बीच वह कितने पसंदीदा है, इसका भी हिसाब- किताब जुटाया जा रहा है. सांसदों ने क्या-क्या डेवलपमेंट कार्य किए, इसे जनता के मन मस्तिष्क पर कितना असर हुआ, यह सब भी अलग-अलग प्लेटफार्म के जरिए जानकारी की जा रही है.
कुछ का काट सकता है टिकट तो कई सीटों पर आ सकते हैं नए
अगर रांची से लेकर धनबाद तक की चर्चाओं पर भरोसा करें तो पिछले चुनाव लड़ने वाले कुछ सांसदों का टिकट कट भी सकता है. कुछ नए चेहरे को भी सामने लाया जा सकता है. यह बात भी धीरे-धीरे साफ होने लगी है कि भाजपा इस बार "मोदी नाम केवलम" के भरोसे चुनाव में उतरने वाली नहीं है. सांसदों का परफॉर्मेंस ही काम आएगा. उनके परफॉर्मेंस के आधार पर ही टिकट मिलेगा. लोकसभा की 5 आदिवासी सीटों पर केंद्रीय नेतृत्व की विशेष नजर है. इसमें खूटी , लोहरदगा, दुमका ,सिंहभूम और राजमहल शामिल है. खूंटी, लोहरदगा और दुमका तो भाजपा के पास है लेकिन सिंहभूम और राजमहल पर भाजपा का कब्जा नहीं है. हो सकता है कि सीटों पर उम्मीदवार बदला जाए.
2024 का चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण होगा
कुल मिलाकर देखा जाए तो 2024 का चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण होगा. बंगलुरु में इधर विपक्षी एकता की बैठक शुरू है तो आज ही दिल्ली में एनडीए के नेता बैठक करेंगे और रणनीति तय करेंगे.अगर विपक्षी एकता की बात बन गई तो आमने -सामने का चुनाव हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो चुनाव बहुत ही दिलचस्प होगा. वैसे ,झारखंड में भाजपा के 12 सांसद पिछले कई महीनों से अपनी सक्रियता तेज किए हुए है. राजमहल और सिंहभूम से हारे उम्मीदवार भी रेस हो गए है. जिन जिन सीटों पर उम्मीदवारों को खतरा दिख रहा है, वहां के लिए लॉबिंग भी शुरू हो गई है और गोपनीय रिपोर्ट पर भी सांसद ख्याल रख रहे है. उत्तरी छोटानागपुर और संथाल परगना के भी कुछ संसदीय सीट हैं, जहां से उम्मीदवार बदले जाने की चर्चा हो रही है लेकिन अंतिम निर्णय तो टिकट बंटवारे के समय ही होगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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