धनबाद(DHANBAD): जम्मू कश्मीर, नागालैंड, असम से बने लाइसेंस पर आर्म्स रखने वालों की जांच का बिहार सरकार ने निर्णय लिया है. सरकार ने सभी जिला अधिकारियों को जांच का निर्देश दिया है. सभी के लाइसेंस की जांच करने को कहा गया है. जांच के दौरान यदि लाइसेंस बनवाते समय नियमों की अनदेखी मिलेगी तो लाइसेंस निरस्त करते हुए हथियार को अवैध मान लेने को कहा गया है. यह वेरिफिकेशन 15 फरवरी तक पूरा करना है.
यदि बाहरी राज्यों से प्राप्त हथियार लाइसेंस की जांच में शस्त्रधारी सहयोग नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही गई है. यह बात सही है कि जम्मू कश्मीर, नागालैंड, अ सम से हथियार का लाइसेंस बनवाकर केवल बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड और धनबाद में कई लोग हथियार रखे हुए हैं.ऐसी सूचनाएं लगातार मिलती रहती है. धनबाद कोयलांचल में तो बिहार के जमाने से ही नागालैंड, असम से लाइसेंस बनवाकर हथियार रखने की शिकायतें मिलती रहती हैं. कोयलांचल में बॉडीगार्ड रखने की भी प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है .बिहार के जमाने में भी यह सब होता था और झारखंड के जमाने में भी यह सब हो रहा है.
धनबाद में बॉडीगार्ड लेकर घूमने वालों के लाइसेंस की अगर जांच की जाए तो बहुत से लाइसेंस जम्मू कश्मीर, नागालैंड और असम से बने मिल सकते है. कोयलांचल में भी नागालैंड से जारी लाइसेंस रखने वालों की संख्या कम नहीं है. नागालैंड के दीमापुर से लाइसेंस निर्गत होने के कई मामलों का खुलासा कई राज्यों में हुआ है. कोयलांचल के तथाकथित माफिया के "यूथ विंग" के साथ चलने वाले निजी सुरक्षा गार्डो के दल के लोगों के पास नागालैंड के लाइसेंस है या जम्मू कश्मीर के, इसकी जांच कभी नहीं होती. कोयलांचल में इसका प्रचलन खूब है. धनबाद के कुछ वीआईपी लोगों के साथ जो सुरक्षा गार्ड चलते हैं ,उनके लाइसेंस की जांच क्या कभी की गई है ? फर्जी लाइसेंस पर हथियार रखने वाले अगर पकड़ में आते हैं तो क्या वीआईपी बने लोग सुरक्षित बच सकते है.? यह सब ऐसे सवाल हैं, जो आज की जरूरत बन गए है .
सवाल तो यह भी है कि धनबाद में कितने प्राइवेट गनर हैं, इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध है क्या . कितने बाउंसर हैं, इसका भी कोई आंकड़ा उपलब्ध है क्या . जम्मू कश्मीर और नागालैंड से बने हथियारों के कितने लाइसेंस हैं, इसका भी कोई आंकड़ा है क्या . फायरिंग गैंग हाल के दिनों में जब से सक्रिय हुआ है, तब से प्राइवेट गनर रखने का प्रचलन भी बढ़ा है. यह बात अलग है कि अपनी सुरक्षा के लिए लोग यह सब करते हैं. प्राइवेट गनर और बॉडीगार्ड रखना दो चार साल पहले तक लोगों का शौक था लेकिन अब लाचारी बन गई है. सुरक्षा के लिए निजी संस्थानों के बाहर ,बैंकों का कैश ढोने वाले वाहनों पर ,कई लोगों के घरों के बाहर प्राइवेट गनर देखे जा सकते हैं. इन प्राइवेट गनर की पुलिसिया जांच होती भी है कि नहीं, यह कहना मुश्किल है. धनबाद कोयलांचल के कई दुकानों से लेकर बैंक, एटीएम या निजी कार्यालयों में गनर दिख जाते हैं, इनमें से कुछ किसी न किसी कंपनी के जरिए आते हैं तो कुछ निजी भी होते है.
नियम के अनुसार इन सब की जांच होनी चाहिए लेकिन जांच होती नहीं है. बहुत से लोग 2 से 4 निजी बॉडीगार्ड लेकर घूमते दिख जाएंगे.यह बात भी सही है कि जब यह निजी बॉडीगार्ड सड़क पर चलते हैं तो अपने को किसी से कम नहीं समझते. इन प्राइवेट बॉडीगार्ड के पास पिस्टल से लेकर अन्य अत्याधुनिक हथियार होते हैं. आश्चर्य तो तब होता है कि संबंधित थानों को भी इन प्राइवेट बॉडी गार्डों की जानकारी नहीं होती . अभी हाल ही में गुमला पुलिस ने फर्जी लाइसेंस बनाने वाले धनबाद के रेशम बहादुर को गिरफ्तार कर इस मामले को लाइमलाइट में ला दिया था .
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