सरायकेला(Saraikela) : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के सख़्त आदेश के बाद भी ज़िले में खुलेआम बालू की ढुलाई की जा रही है. ऐसे में प्रसाशन पर सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर प्रसाशन इन बेलगाम अवैध कारोबारियों पर नकेल क्यों नहीं कस रही है या फिर पुलिस-प्रसाशन के संरक्षण में ही इसे अंजाम दिया जा रहा है. भले ही झारखंड में मानसून की बेरुख़ी से किसान परेशान हैं, लेकिन हल्की बारिश से भी नदी में बालू भारी मात्रा में उभर आ रही है. जिस से अवैध बालू माफ़ियाओं की तो चांदी ही चांदी हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्री सह मंत्री चंपई सोरेन की ड्रीम पॉर्जेक्ट गांजिया बैराज के समीप गांजिया घाट से खुलेआम बालू की ढुलाई हो रही है. बालू की ढुलाई न केवल ट्रेक्टर से हो रही है बल्कि 10 चक्का हाइवा से भी अवैध बालू की ढुलाई कर बंगाल भेजा जा रहा है. इसके साथ ही टंगरानी से सरायकेला जोड़ने वाली सड़क के किनारे अवैध बालू का जगह-जगह भंडारण भी देखा जा सकता है.
आसमान छू रही बालू की क़ीमत
एक तरफ़ जहां अबुआ आवास को लेकर सरकार ख़ुद की पीठ थप-थ्पाने में लगी है और आगामी विधान सभा चुनाव में इसे बड़ी उपलब्धि बता रही है तो वहीं, गरीब आवास की पहली किस्त लेकर बालू ख़रीदने के लिए परेशान हैं. अवैध बालू बाहर भेजे जाने के कारण बालू की क़ीमत आसमान छू रही है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राजनगर और गम्हरिया थाना होते हुए ही ये अवैध बालू भरी गाड़ियां दिन की उजाले में सरपट दौड़ रही है. न ही बालू माफ़ियाओं को सरकार से डर है और न ही ज़िला प्रशासन का ख़ौफ़. सूत्र बताते है कि इन माफ़ियाओं ने ऊपर से लेकर नीचे तक सेटिंग कर रही है.
राज्य भर में लगातार खबर चलने के बाद भी अवैध बालू का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है. कहीं न कहीं इस वजह से हेमंत सरकार की बदनामी भी हो रही है. यही कारण है कि बीते दिन केंद्रीय मंत्री सह झारखंड भाजपा विधानसभा प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने भी हेमंत सरकार को कुंभकर्ण के नाम से संबोधित करते हुए कहा कि हेमंत सरकार बालू पत्थर खाती है.
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