धनबाद(DHANBAD): तुम अगर हम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाओगे, तो हम भी कहेंगे कि तुम भी भ्रष्टाचारी हो. क्या झारखंड में आगे यही होने वाला है. विशेषकर 2024 के चुनाव में. या फिर हेमंत सरकार को विधानसभा से कोई बिल पारित कराना है. यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि चुनाव और विधानसभा सत्र के ठीक पहले रघुवर सरकार के 5 ताकतवर मंत्रियों के खिलाफ प्रिलिमनरी इंक्वायरी दर्ज करने की स्वीकृति दी गई है. विधानसभा में नोकझोंक होने पर विपक्ष कह सकता है कि वह सदन का बहिष्कार कर रहा है. ऐसे में सरकार बहुमत में है तो वह कोई भी बिल पास करा सकती है. अगर चुनाव के पहले भ्रष्टाचार के हमले की बात की जाए तो भाजपा की ओर से महागठबंधन की सरकार को भ्रष्ट कहा जा रहा है तो महागठबंधन की ओर से भी इन्ही शब्दों में पलटवार अब किया जा सकता है .
रघुवर सरकार के पांच ताकतवर मंत्री हैं निशाने पर
पूछा जा सकता है कि अगर हम भ्र्स्ट है तो क्या आप दूध के धुले हुए है. यह अलग बात है कि पूर्व मंत्रियों को परेशानी हो सकती है. इंस्पेक्टर या डीएसपी लेवल के अधिकारी उनसे पूछताछ कर सकते हैं . पूछताछ करने के लिए उनके घर भी जा सकते हैं और अपने कार्यालय में भी बुला सकते है. ऐसे में विधायक और मंत्री रहे लोग खुद को अपमानित महसूस तो जरूर करेंगे. पूर्व पर्यटन एवं खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी , पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव, पूर्व कल्याण मंत्री लुईस मरांडी और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो करेगा. 21 मई 2022 को मुख्यमंत्री ने PE दर्ज करने का आदेश दिया था. इधर, मंगलवार को कैबिनेट से इसकी मंजूरी मिली. हालांकि इसकी जांच का भी एक तरीका है. सरकारी पद पर रहे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की PE जांच का प्रथम चरण माना जाता है. विभागीय आदेश के बाद किसी मामले में प्रिलिमनरी इंक्वायरी कराई जाती है. इस जांच में दोषी पाए जाने के बाद एसीबी मामले की जानकारी मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को देता है. उसके बाद एफ आई आर दर्ज की जाती है.
21 मई" 2022 के बाद 25 जुलाई 2023
21 मई" 2022 को आदेश के बाद 25 जुलाई 2023 को इसे कैबिनेट से मंजूरी मिली. इसके बाद से ही राजनीतिक पंडित इस मामले को अपने अपने चश्मे से देखना शुरू कर दिया है. कुल मिला कर कहा जा सकता है कि चुनाव प्रचार के दौरान इस मामले का उपयोग महागठबंधन की ओर से होगा. उधर, भाजपा भ्रष्टाचार के मामले को लेकर हमलावर है और हो सकती है. प्रवर्तन निदेशालय भी कई मामले पकड़ कर कई अधिकारियों को सलाखों के पीछे भेजा है. प्रवर्तन निदेशालय केंद्र के अधीन है तो राज्य सरकार के अधीन भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो है. देखना है कैबिनेट से मंजूरी के बाद झारखंड में आगे -आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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