झारखंड में स्कूलों ने मनमानी की तो लग सकता है 2.50 का जुर्माना, पढ़िए विधानसभा में और क्या हुआ

धनबाद(DHANBAD): झारखंड में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ विधानसभा का माहौल मंगलवार को दूसरे दिन भी गर्म रहा. सोमवार को भी मामला विधानसभा में उठा था. झरिया की भाजपा विधायक रागिनी सिंह ने सदन का ध्यान आकृष्ट कराया था. कहा था कि धनबाद सहित पूरे प्रदेश में प्राइवेट स्कूल मनमानी कर रहे है. अभिभावकों का खून चूसा जा रहा है. किताब, कॉपी, स्कूल ड्रेस, बैग और जूते तक स्कूल द्वारा चिन्हित दुकानों या एजेंसियों से खरीदना पड़ रहा है. बेचने वाले मनमानी करते है. क्योंकि स्कूल वालों को इसमें कमीशन मिलता है. जवाब में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि ऐसा करने वाले स्कूलों पर ढाई लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है. मंत्री ने कहा था कि सभी स्कूलों में शुल्क समिति गठित है. इसमें छात्रों के अभिभावक और शिक्षक शामिल होते है. यह कमेटी फीस निर्धारित करती है.
डीसी की अध्यक्षता वाली समिति लगा सकती है जुर्माना
बावजूद कोई स्कूल अगर मनमानी करता है तो उसको देखने के लिए डीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित है. उस कमेटी में कई विभागों के पदाधिकारी के अलावा स्थानीय सांसद और विधायक भी शामिल होते है. अगर यह पता चलता है कि कोई स्कूल प्रबंधन मनमानी तरीके से फीस वृद्धि या किसी खास दुकान से कॉपी खरीदने के लिए दबाव बनाता है, तो डीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी ढाई लाख रुपए तक जुर्माना लगा सकती है.
दूसरे दिन भी मंगलवार को विधानसभा में स्कूलों की मनमानी का मामला उठा. भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद के जवाब में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि मनमानी को रोकने के लिए जिला स्तर की समिति अगरअनुशंसा करेगी तो कानून बनाने की दिशा में पहल की जाएगी. भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद का सवाल था कि झारखंड के स्कूलों में सीबीएसई, आईसीएस ई , जैक बोर्ड के तहत पढ़ाई होती है. लेकिन सभी निजी स्कूल अपने-अपने ढंग से एडमिशन फीस और ट्यूशन फीस लेते है.
सरकार को कानून बनाकर फीस की राशि में एकरूपता लानी चाहिए
इस वजह से सरकार को कानून बनाकर फीस की राशि में एकरूपता लानी चाहिए. जवाब में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि इस पर नियंत्रण के लिए स्कूल स्तर पर शुल्क समिति और उससे ऊपर जिला स्तरीय समिति है. गड़बड़ी पाए जाने पर निजी स्कूलों पर पेनल्टी के तौर पर ₹50 से लेकर ढाई लाख तक लगाया जा सकता है. राज्य सरकार की ओर से गजट की कॉपी को सभी जिलों में भिजवाए जाने की बात मंत्री ने कही. साथ ही उपायुक्त के स्तर पर नियमित बैठक हो, इसकी भी व्यवस्था की जाएगी. आगे स्पीकर ने हस्तक्षेप करते हुए मंत्री से कहा कि विसंगति को दूर करने के लिए कानून बनना चहिये. इस पर मंत्री ने कहा कि कानून जरूर बनना चाहिए. अगर जिला स्तर की समिति से अनुशंसा आती है तो कानून बनाने की दिशा में पहल की जाएगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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