धनबाद(DHANBAD): कांग्रेस नेता राहुल गाँधी पहली बार कोई संवैधानिक पद संभालेंगे. वह नेता प्रतिपक्ष बनेंगे . 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद इंडिया ब्लॉक उत्साहित है. वह सत्ता पक्ष के हर चाल को महीन से समझने की कोशिश कर रहा है. सबसे बड़ी बात है कि चुनाव परिणाम आने के बाद भी इंडिया ब्लॉक लगभग एकजुट है और संसद में सत्ता पक्ष से सवाल -जवाब करने की तैयारी कर रहा है. राहुल गाँधी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कई मामलों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सामने असहज स्थिति उत्पन्न हो सकती है . क्योंकि नेता प्रतिपक्ष की अपनी ताकत और अपनी भूमिका होती है. नेता प्रतिपक्ष कई महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य होते है. कई चयन समितियों का भी हिस्सा बनते है. नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर का होता है.
मिलेगी केंद्रीय मंत्री की सभी सुविधाएं
इस पद पर बैठे व्यक्ति को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाएं मिलती है. मतलब राहुल गांधी को अब यह सारी सुविधाएं मिलेंगी. कई समितियों के सदस्य होने के नाते केंद्रीय एजेंसियो के प्रमुख की नियुक्ति में भी राहुल गांधी का दखल हो जाएगा. यह अलग बात है कि सरकार नेता प्रतिपक्ष की बात माने अथवा न माने, लेकिन कागज में आपत्ति तो राहुल गांधी दर्ज करा ही सकते है. केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुख की नियुक्ति में प्रधानमंत्री और उनके द्वारा मनोनीत कोई मंत्री और नेता प्रतिपक्ष के रहने की फिलहाल परिपाटी है. इसका मतलब है कि राहुल गांधी अब इस भूमिका में आ जाएंगे. कहा जा सकता है कि पहली बार राहुल गांधी कोई संवैधानिक पद संभालेंगे, नेता प्रतिपक्ष कई महत्वपूर्ण समितियों जैसे सार्वजनिक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम समेत कई समितियों के सदस्य होते है. कई संयुक्त संसदीय पैनलों में होने के अलावा नेता प्रतिपक्ष कई चयन समितियों का भी हिस्सा होते हैं. जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति करती है. इसके साथ ही वह केंद्रीय सतर्कता आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग जैसे वैधानिक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली समितियों के भी सदस्य होते हैं.
कैबिनेट मंत्री के बराबर का मिलता है दर्जा
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर का होता है. यह पद काफी अहम माना जाता है. इस पद पर बैठे व्यक्ति को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. जानकारी के मुताबित नेता प्रतिपक्ष को प्रति माह 3,30,000 रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलावा कैबिनेट मंत्री को मिलने वाले आवास के स्तर का बंगला और ड्राइवर समेत एक कार मिलती है. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष को लगभग 14 स्टॉफ मिलते हैं, जिसका खर्च सरकार वहन करती है. संसद भवन के अलावा भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर नेता प्रतिपक्ष प्रधानमंत्री के साथ बैठक करते हैं और विचार- विमर्श करते हैं.विपक्ष का नेता संसद में सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना करने और सवाल उठाने के लिए स्वतंत्र होता है. साथ ही प्रमुख विधेयकों और नीतिगत मामलों पर विपक्ष का दृष्टिकोण संसद में रखते है.
नेता प्रतिपक्ष को विभिन्न संसदीय समितियों के होते है सदस्य
नेता प्रतिपक्ष को विभिन्न संसदीय समितियों, जैसे लोक लेखा समिति और चयन समिति में सदस्यता दी जाती है, साथ ही संसदीय समितियों द्वारा लिए गए निर्णय में विपक्ष के नेता का अहम रोल होता है. संवैधानिक पदों पर होने वाली नियुक्तियों में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी मायने रखती है. उदाहरण के लिए बात करें तो केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC), सूचना आयुक्त, और लोकपाल की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की राय भी ली जाती है. साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष का रोल अहम होता है. चयन समितियों में नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है. 2024 के चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी नए तेवर और नए अंदाज में सामने आई है. राहुल गांधी ने चुनाव के पहले यात्राएं की, उसके पीछे उनकी मंशा थी कि वह देश को समझ सके. हर जगह के लोगों के लोगो को जाना जाए. उनकी समस्याओं को समझा जाए और फिर उसके हिसाब से निर्णय लिया जाए.
दो लोकसभा सीटों से चुनाव जीते हैं राहुल गाँधी
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने रायबरेली और बायनाड से चुनाव लड़ा. दोनों सीटों से उनकी जीत हुई. लेकिन बायनाड सीट वह छोड़ेंगे और वहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी. रायबरेली सीट को वह अपने पास रखेंगे. इधर कांग्रेस नेताओं के दबाव पर ही सही, राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनने को तैयार हो गए है. 20 24 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं आया है और गठबंधन की सरकार बनी है. तो इंडिया ब्लॉक को भी 240 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है. जो भी हो लेकिन राहुल गांधी पहली बार कोई संवैधानिक पद संभालने जा रहे है और यह उनकी एक और परीक्षा होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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