एक निर्णय कैसे बदल देती है तक़दीर: चमरा लिंडा मंत्री बन गए और लोबिन हेम्ब्रम चुनाव भी हार गए


धनबाद(DHANBAD) : कहा जाता है कि राजनीति और कारोबार में कोई एक निर्णय किसी को बहुत आगे लेकर चला जाता है, तो किसी को पीछे छोड़ देता है. झारखंड में चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम के बारे में भी कुछ ऐसा ही कहा जा सकता है. चमरा लिंडा तो विधायक बने , विधायक से मंत्री बन गए, लेकिन लोबिन हेंब्रम भाजपा की टिकट पर चुनाव भी हार गए. चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम पर झामुमो पार्टी ने एक साथ कार्रवाई की थी. चमरा लिंडा को केवल पार्टी से निलंबित किया गया था. उसी समय से माना जा रहा था कि उन पर पार्टी का "सॉफ्ट कॉर्नर" है, जबकि लोबिन हेंब्रम को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था.
विधानसभा चुनाव में चमरा लिंडा को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए. फिर वह मंत्री बन गए है. जबकि लोबिन हेंब्रम चुनाव हार गए है. लोबिन हेंब्रम झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में चले गए और भाजपा के टिकट से ही बोरियो से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. चमरा लिंडा लोहरदगा से 2024 लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़े, तो राजमहल से लोबिन हेंब्रम भी निर्दलीय चुनाव लडे. यह बात अलग है कि चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम को वहां की जनता ने लोकसभा में पूरी तरह से नकार दिया.
दोनों पार्टी से अलग हुए तो जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया. उनकी बातों पर वोटरों ने भरोसा नहीं किया. लोहरदगा लोकसभा सीट पर चमरा लिंडा को 45,998 वोट मिले. इस सीट पर कांग्रेस की ओर से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सुखदेव भगत को 4,83,038 वोट प्राप्त हुए. जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के समीर उरांव को 3,43,9 00 वोट प्राप्त हुए. राजमहल लोकसभा सीट पर लोबिन हेंब्रम को केवल 42,140 वोट मिले. जबकि इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा को 6 , 13,371 मत प्राप्त हुए. जबकि भाजपा के ताला मरांडी को 4 , 35,107 वोट मिले थे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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