धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में दूसरे चरण का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा. यह चुनाव यह भी तय कर सकता है कि झारखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? वैसे तो नंबर गेम में एनडीए आगे निकलेगा या इंडिया ब्लॉक, इसका पता 23 नवंबर को चलेगा. लेकिन सत्ता समीकरण के हिसाब से संथाल और कोयलांचल की सीटें बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होंगी. संथाल परगना में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे है. वह बरहेट से उम्मीदवार है. इस सीट पर भी लोगों की नजर है. दूसरी तरफ गिरिडीह के धनवार से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी चुनाव लड़ रहे है. यह दोनों सीटें बहुत ही महत्वपूर्ण सीट कहीं जा रही है. हेमंत सोरेन 2019 का चुनाव भी बरहेट से जीते थे. यह अलग बात है कि 2019 में हेमंत सोरेन दो जगह से चुनाव लड़े थे. जिसमें दुमका भी शामिल था. लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने दुमका सीट को छोड़ दी और वहां हुए उप चुनाव में उनके भाई बसंत सोरेन विधायक बने. जबकि धनवार सीट को लेकर एनडीए काफी गंभीर है.
रांची का नेतृत्व हो अथवा दिल्ली का, चुनाव प्रभारी हो या सह प्रभारी, सभी इस सीट पर बाबूलाल मरांडी की जीत के लिए ताकत झोंक रखी है. गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे भी इसमें शामिल है. शनिवार को इस सीट को लेकर एक नाटकीय घटनाक्रम भी हुआ. भाजपा के नेता निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय के गांव पहुंच गए. आनन् -फानन में हेलीपैड बनाया गया. हेलीपैड से नेता उतारे और फिर निरंजन राय से बात की. फिर निरंजन राय को लेकर उड़ गए. उसके बाद गिरिडीह के डोरंडा में अमित शाह की सभा में निरंजन राय ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा की और कहा कि वह बाबूलाल मरांडी के पक्ष में काम करेंगे. यह सब हुआ बाबूलाल मरांडी की सीट को सुरक्षित करने के लिए. क्योंकि धनवार सीट से बाबूलाल मरांडी चुनाव लड़ रहे हैं और वहां भूमिहार जाति का वर्चस्व माना जाता है. इसी जाति से निरंजन राय आते हैं और वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे.
चुनाव प्रचार भी तेज कर दिया था. नतीजा हुआ कि भाजपा को खतरा महसूस होने लगा और उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए जमीन तैयार की गई. उसमे गोड्डा सांसद और असम के मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और निरंजन राय केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए. इधर, भाजपा ने बरहेट से झामुमो में प्रत्याशी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रस्तावक को तोड़कर पार्टी में शामिल करा दिया. उस समय भी ड्रामा हुआ,लेकिन यह ड्रामा बहुत कारगर साबित नहीं हो सका और हेमंत सोरेन का नामांकन पत्र सुरक्षित रह गया. जो भी हो लेकिन झारखंड में दूसरे चरण का चुनाव यह तय करेगा कि कौन मुख्यमंत्री होगा. यह अलग बात है कि एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं की गई है. लेकिन यह मानकर चला जा रहा है कि अगर एनडीए को बहुमत मिला तो बाबूलाल मरांडी सीएम होंगे, जबकि यह बात तो तय है कि इंडिया गठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा हेमंत सोरेन ही है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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