धनबाद(DHANBAD): शिक्षा में विकास का दावा करने वाले शिक्षा विभाग और प्रशासन के नाक के नीचे अगर एक ही कमरे में दो सीनियर क्लास की पढ़ाई हो, तो इसे आप क्या कहेंगे. जिस कमरे में 40 से 50 छात्र ही बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं, वहां अगर डेढ़ सौ छात्र बैठकर पढ़ाई करते हो, तो इसे आप क्या कहेंगे. लाइब्रेरी रूम में भी अगर बच्चे पढ़ाई करते हो, तो इसे आप क्या कहेंगे. प्रयोगशाला को बंद कर अगर वहां बच्चों को बैठाकर पढ़ाई कराई जाए, तो इसे आप क्या कहेंगे. डीएमएफटी फंड से निर्माण कार्य पारित होने के बाद भी 2 सालों से भवन निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ ,हो तो आप इसे क्या कहेंगे. कमरों के अभाव में अगर बच्चो की पढ़ाई बाधित हो रही हो ,तो इसे आप क्या कहेंगे. यह हाल है गोविंदपुर प्रखंड के नगर कियारी प्लस टू हाई स्कूल का. फिलहाल यहां 1600 बच्चे हैं, जो किसी तरह 15 क्लास रूम में पढ़ाई कर रहे है. इन 15 क्लास रूम में दो हॉल भी है. लेकिन उनका भी आकार बहुत बड़ा नहीं है. समस्या तब तो बहुत बड़ी हो जाती है, जब स्कूल के अटेंडेंस भर के बच्चे पहुंच जाते है. उसे समय बच्चों को बैठना टीचरों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है. यह सुनकर भी आपको आश्चर्य होगा कि हॉल में बच्चों को पढ़ने के लिए शिक्षकों ने स्कूल फंड से ही सही ,लेकिन माइक की व्यवस्था की है. जिससे कि टीचर की आवाज बच्चों तक पहुंच सके.
धनबाद के सरकारी स्कूलों का यह पहला इंतजाम
शायद धनबाद के किसी भी सरकारी स्कूल का यह पहला मामला होगा. यह शिक्षकों का बच्चों के प्रति निष्ठा को दर्शाता है. साइंस लेबोरेट्री में भी बच्चे पढ़ाई करते है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि 11वीं और 12वीं के बाणिज्य संकाय के बच्चे एक ही क्लास में पढ़ते है. टीचर भी एक ही है. जब एक क्लास के बच्चों को टीचर पढ़ाती है तो दूसरे चुपचाप अपना टास्क पूरा करते है. और जब 12वीं के बच्चे को पढ़ाना शुरू करती है, तो 11 वी के बच्चे टास्क करते है. सबसे आश्चर्यजनक की बात है कि 2022 में आम सभा कर विद्यालय के उत्तर पूर्व दिशा के जर्जर भवन को तोड़कर डीएमएफटी फंड से दो मंजिला 10 कमरों का नया भवन बनाने, चारदीवारी करने, डीप बोरिंग करने, शौचालय बनाने की योजना पास हुई थी. 28 दिसंबर 2022 को टाउन हॉल, धनबाद में आयोजित डीएमएफटी न्यास परिषद की बैठक में उस प्रस्ताव को पारित किया गया था. परंतु काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है. धनबाद के पूर्व सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने भी 28 जुलाई" 2023 को पत्र लिखकर विद्यालय की योजनाओं के क्रियान्वयन का निर्देश दिया था. इसके बाद भी अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है और कमरों के अभाव में छात्र भारी परेशानी का सामना कर रहे है.
रिमाइंडर के बाद भी काम नहीं हुआ शुरू
यह बात भी सच है कि डीएमएफटी फंड से काम शुरू कराने के लिए कई बार स्मार पत्र भी दिए गए, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. गुरुवार को धनबाद के कांग्रेस नेता एवं झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह स्कूल पहुंचे. वहां की स्थिति को देखकर वह भी हैरत में पड़ गए. बच्चों की संख्या और उनकी उपलब्धि देख उन्होंने भरोसा दिया कि स्कूल के विकास के लिए जो भी उनसे होगा, करेंगे. सरकारी अधिकारियों का दरवाजा खटखटाएंगे. डीएमएफटी फंड से भवन निर्माण का काम शुरू कराने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि एक विचित्र बात यह देखने को मिली कि सामान्य वर्ग के बच्चों को साइकिल का वितरण नहीं किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने उन्हें भी 10% का आरक्षण दिया है. अशोक सिंह ने भरोसा दिया कि सरकार से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि स्कूल में 1600 बच्चे पढ़ रहे है. बच्चों का रिजल्ट भी बहुत अच्छा होता है. ऐसे में इस स्कूल को इस तरह छोड़ देना, बच्चों के भविष्य के साथ मजाक के सिवाय और कुछ नहीं है. अशोक सिंह ने कहा है कि बच्चों की संख्या अधिक होने और बैठने की क्षमता कम होने के कारण अब इसका असर पढ़ाई पर भी पड़ने लगा है. रिजल्ट पर भी असर दिखने लगा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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