करम की धूम के बीच झुमरी तिलैया की मासूम देविका की कहानी, पढ़िये आप भी


झुमरी तिलैया(JHUMRI TILAIYA): संपूर्ण झारखंड प्रदेश में आदिवासियों समेत ग्रामीण इलाकों में भी धूमधाम से मानव और प्रकृति के बीच अगाढ़ प्रेम और संबंध का करमा पर्व मनाया जा रहा है. इसके नाम से ही भाई- बहन के बीच पवित्र एवं अटूट रिश्ते की बात जहन में ताजा हो जाती है. हालांकि इस पर्व में भले ही बहनें अपने भाई की सलामती एवं लंबी उम्र के लिए धूमधाम से करम डाली की पूजा करती हों, लेकिन झुमरी तिलैया की तिलैया बस्ती की 8 वर्षीय मासूम देविका की कहानी आज फिर से करम पूजा के महत्व को और गहराई तक ले जाती है. अब घर में खुशियां बेशुमार है.
देविका बताती हैं कि उसकी मात्र एक छोटी बहन रूही है. लेकिन भाई नहीं होने की वजह से दोनों बहनें रक्षाबंधन में अपने चचेरे, ममेरे एवं मोहल्ले के भाइयों को राखी बांधकर संतुष्ट हुआ करती थी. लेकिन अपना भाई नहीं होने की कसक हमेशा उसके जेहन में कचोटती थी. 2 वर्ष पूर्व गांव में करमा पर्व की पूजा के समय मासूम देविका ने करम डाली के समक्ष करम देवता से वरदान मांगते हुए कहा कि हे करम देवता मेरा भी एक भाई हो जाए फिर मैं आपकी भी पूजा धूमधाम से करूंगी, और मासूम बहन की मन्नत पूरी हुई. अगले ही साल रियांश के रूप में एक छोटे भाई की किलकारियां घर में गूंज उठी. अपना भाई पाकर बहन देविका की असीम खुशी देखती बनाती हैं. बड़े ही उत्साह से वह बताती हैं कि 1 वर्षीय भाई रियांश का लगाव मां से कहीं ज्यादा उसके साथ है. वह जब भी कुछ खाता है पहले बड़ी बहन को खिलाता है, यदि बड़ी बहन को मां डांटती भी है तो भाई उसकी बचाव करता है. प्रत्येक दिन स्कूल से छुट्टी होने के बाद बहनों का घर पर इंतजार करता है. बहनों के घर आने पर काफी हर्षित हो जाता है. घर में बहन देविका एवं रूही के साथ ही रहता है, सोकर जागने के बाद बड़ी बहन को ढूंढता है, नन्हा ऋषि ज्यादा समय बहन देविका के साथ ही बीतता है मानो वह जानता हो कि उसका जन्म बहन की मन्नत का नतीजा है. इस तरह तिलैया बस्ती निवासी दादा किशुन दास, पिता सुमित दास एवं माता सरिता देवी की पुत्री देविका की एक भाई की लालसा पूरी होती है. आज देविका की कहानी के साथ गांवों और कस्बों में घटने वाली ऐसी घटनाएं लोगों के अंदर लोक आस्था के करमा पर्व की महत्ता और उसकी गहराई को और भी अगाढ़ करता है.
नोट: इस खबर का मकसद अंधविश्वास को बढ़ावा देना हरगिज़ नहीं. इसे मात्र एक मासूम बच्ची की अभिव्यक्ति के समान पढ़ा जाए.
रिपोर्ट: अमित कुमार, झुमरी तिलैया
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