धनबाद के आईआईटी-आईएसएम में बनेगा ऐसा चश्मा कि ज्योतिविहीन भी देख सकेंगे सतरंगी दुनिया


धनबाद(DHANBAD): सब कुछ सही रहा तो अगले 5 साल में दृष्टिबाधित लोगों को ना किसी को साथ लेकर चलना होगा और ना ही उन्हें लाठी का सहारा लेना होगा. जी हां, धनबाद के आईआईटी-आईएसएम ने इस पर रिसर्च शुरू कर दी है. इसी महीने 4 तारीख को केंद्र सरकार से 86.25 लाख की राशि भी रिसर्च टीम को मिल गई है. इसकी जानकारी देते हुए आज आईआईटी-आईएसएम के प्रोफेसर राजीव रंजन ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से इस पर वह काम कर रहे हैं. इस पूरे रिसर्च के प्रोजेक्ट रिपोर्ट को केंद्र सरकार के पास भेजा गया था, जहां से अनुमति मिल गई है और राशि भी प्राप्त हो गई है.
5 सालों का है ये प्रोजेक्ट
उन्होंने बताया कि कुल 6 सदस्यों की टीम इस पर काम कर रही है और 5 सालों का यह प्रोजेक्ट है. उम्मीद है कि 5 साल के बाद एक ऐसा चश्मा हम तैयार कर पाएंगे, जिसमें लगे चिप किसी भी दृष्टिबाधित को बता पाएगा कि आगे क्या अवरोध आने वाला है. फिर उसी हिसाब से वह सजग हो जाएगा. प्रोफेसर रंजन की मानें तो बाजार में यह न्यूनतम कॉस्ट पर उपलब्ध होगा और बेंगलुरु की एक कंपनी को भी साथ रखा गया है ताकि वह इसमें सहयोग कर सके. उन्होंने संभावना जताई है कि अभी तो हम सिर्फ चिप की ही बात कर रहे हैं लेकिन आगे चलकर कोशिश होगी की चिप से हिंदी-अंग्रेजी में आवाज निकले और वह आवाज दृष्टिहीन के कानों तक जाए. ताकि दृष्टिहीन व्यक्ति अपने आगे के अवरोध से बच सके. डब्ल्यूएचओ के आंकड़े के अनुसार पूरे विश्व में एक बिलियन लोग दृष्टिहीन है और उनके लिए यह एक बहुत बड़ा राहत भरा कदम होगा.
रिपोर्ट: शांभवी और प्रकाश, धनबाद
4+