Ghatshila by election: एक मां की भावुक अपील ,अपने बेटे के बदले वोटरों को क्या दिया भरोसा,पढ़िए विस्तार से


धनबाद(DHANBAD): वैसे तो उम्मीद है कि छठ महापर्व के बाद घाटशिला उपचुनाव प्रचार की कमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद संभालेंगे, यह सीट झामुमो की प्रतिष्ठा के साथ जुड़ा हुआ है. इस सीट का परिणाम पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के भाजपा में जाने के फैसले की भी परीक्षा लेगा. अगर चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला उपचुनाव से चुनाव जीत जाते हैं, तो यह हेमंत सोरेन के लिए भी बड़ा झटका हो सकता है. इसलिए झामुमो ने अब दिवंगत रामदास सोरेन की पत्नी सूरज मोनी सोरेन को मैदान में उतार दिया है.
शुक्रवार को दिवंगत रामदास सोरेन की पत्नी उतरी चुनाव प्रचार में
शुक्रवार को दिवंगत रामदास सोरेन की पत्नी ने पश्चिमी सिंहभूम की सांसद जोबा मांझी, पूर्व सांसद सुमन महतो , विधायक सविता महतो सहित अन्य महिला नेत्रियों के साथ जनसंपर्क अभियान में शामिल हुई. सूरजमोनी सोरेन ने भावुक संबोधन में कहा कि मेरे पति हर पल घाटशिला विधानसभा के लोगों के लिए जिया है. उनका सपना था कि घाटशिला विधानसभा क्षेत्र को झारखंड में मॉडल के रूप में देखा जाए, लेकिन नियति के आगे सभी असहाय होते है. उनका असमय चला जाना सबके लिए बड़ा नुकसान है. आज मैं एक मां बनकर आपके सामने आई हूं, जिस तरह आपने मेरे पति पर भरोसा किया, उन्हें मंत्री तक पहुंचाया , उसी तरह अब अपने आशीर्वाद से बेटे सोमेश को ताकत दे. वह पिता के सपनों को हर हाल में पूरा करेगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह चुके हैं कि जीत तो पक्की है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह चुके हैं कि जीत तो पक्की है, जीत का अंतर बढ़ाने की जरूरत है. इधर, भाजपा भी जोर लगाए हुए है, यह अलग बात है कि कोल्हान के आदिवासी सीटों पर भाजपा के पैर लगभग उखड़ चुके है. 2024 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान में सिर्फ चंपाई सोरेन की एक सीट भाजपा के खाते में आई. 2024 के चुनाव में चंपाई सोरेन घाटशिला विधानसभा से अपने बेटे रामदास सोरेन को चुनाव नहीं जीता पाए थे. 15 अगस्त को मंत्री रामदास सोरेन का निधन बीमारी की वजह से हो गया था. उसके बाद घाटशिला में उपचुनाव हो रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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