धनबाद(DHANBAD) | लोकसभा चुनाव के बीच गिरिडीह के गांडेय विधानसभा का उपचुनाव चर्चा में कहीं गुम होता दिख रहा है, लेकिन इस विधानसभा की जमीन क्या जोर का झटका धीरे से देने का मन बना चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल में जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने पार्टी का मोर्चा अपने हाथ में ले लिया है. और वह एक सधे हुए राजनीतिज्ञ की तरह काम कर रही है. कुछ काम तो ऐसा कर रही हैं , जो पहले नहीं हुआ था. गांडेय उप चुनाव लड़ने के साथ-साथ वह लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का भी प्रचार कर रही है. गांडेय विधानसभा क्षेत्र कल्पना सोरेन के लिए भी लिटमस टेस्ट है तो बाबूलाल मरांडी के लिए भी कोई अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. राज्यसभा सांसद डॉक्टर सरफराज अहमद के लिए भी यह प्रतिष्ठा मूलक सीट बन गई है. अल्पसंख्यक और आदिवासी बहुल गांडेय विधानसभा क्षेत्र से डॉक्टर सरफराज अहमद को तब जीत मिली थी, जब उनकी राजनीतिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. जानकारी के अनुसार गांडेय विधानसभा में सबसे अधिक अल्पसंख्यक मतदाता है. उसके बाद आदिवासी आते हैं, कुर्मी ,यादव की संख्या भी यहां है. लेकिन चुनाव का परिणाम को अल्पसंख्यक और आदिवासी मतदाता ही प्रभावित करते है. हालांकि गांडेय उप चुनाव में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की संख्या भी कम नहीं है.
कल्पना सोरेन चल रही है सधी हुई चाल
बावजूद कल्पना सोरेन अपनी फुलप्रूफ चाल से फिलहाल परिस्थितियों को अपने पक्ष में करने की लगातार कोशिश कर रही है. धनबाद के एक झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता के अनुसार गांडेय के पूर्व विधायक साल खन सोरेन की पुत्रवधू कार्मिला टुडू 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा से टिकट की दावेदार की थी. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. लाख मनाने के बावजूद वह चुनाव मैदान में डटी रही. 2019 के चुनाव में उन्होंने दो अंको में वोट हासिल किया था. गांडेय उप चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव में उतरी कल्पना सोरेन ने कार्मिला टुडू को अपने पाले में किया और कई लोगों को अपनी ओर किया. वैसे घर की दहलीज से बाहर निकल कर कल्पना सोरेन एक परिपक्व राजनेता की तरह काम कर रही है. उनकी बोली में आत्मविश्वास है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद भी डिग्गी नहीं बल्कि ऐसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया. यह अलग बात है कि हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के पहले कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री की बागडोर देना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने.
31 दिसंबर 2023 को खाली हुई थी सीट
कल्पना सोरेन के लिए ही डॉक्टर सरफराज अहमद ने 31 दिसंबर 2023 को गांडेय विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफा दिया था. उसे समय सारे लोग आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा हुआ क्यों. लेकिन धीरे-धीरे मामला साफ़ हुआ कि कल्पना सोरेन को उपचुनाव लड़ने के लिए ही डॉक्टर सरफराज अहमद ने इस्तीफा दिया था. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने डॉक्टर सरफराज अहमद को इनाम दे दिया और वह राज्यसभा में चले गए है. लेकिन गांडेय उपचुनाव का परिणाम झारखंड के किसी भी लोकसभा चुनाव से अधिक महत्वपूर्ण है , क्योंकि यहां कई लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. देखना है गांडेय उप चुनाव का परिणाम किस करवट बैठता है लेकिन इतना तो तय है कि गांडेय विधानसभा का चुनाव परिणाम झारखंड की राजनीति की दिशा तय करेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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