धनबाद(DHANBAD): जरा गौर से समझिए, चिकित्सा के नाम पर "ऊंची ऊंची दुकान" खोलकर राशि की बंदरबांट करने वालों की "करतूत" को. मामला पकड़ में आने के बाद भी 11 महीने बाद जांच रिपोर्ट और उसके बाद बात भी अस्पताल की मनमानी. पैसे की "लूट" के लिए ऐसे ऐसे तरकीब अपनाए गए, जो सुनने में ही आश्चर्यचकित करने वाले हैं .अगर कोई पैथोलॉजी क्लिनिक बंद है और उसके नाम पर जांच रिपोर्ट निर्गत की गई हो और उसी जांच रिपोर्ट के आधार पर 592 लोगों की आंखों का ऑपरेशन करने का दावा किया गया हो ,तो इसे आप क्या कहेंगे. ऐसा ही एक मामला धनबाद में सामने आया है.
नयन सुख नेत्रालय" पर 1.52 करोड रुपए का जुर्माना
सरकार ने फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट के आधार पर 592 लोगों की आंखों का ऑपरेशन करने वाले धनबाद के "नयन सुख नेत्रालय" पर 1.52 करोड रुपए का जुर्माना लगाया है. रकम जमा करने के लिए 14 दिनों का समय दिया गया था लेकिन समय सीमा खत्म होने के बाद भी राशि जमा नहीं की गई है. मीडिया में छपी खबरों के अनुसार इस अस्पताल में "आयुष्मान भारत योजना" के तहत 592 लोगों की आंखों का ऑपरेशन करने का दावा करते हुए भुगतान के लिए अपना दावा आयुष्मान पोर्टल पर अपलोड किया था. इसमें अस्पताल की ओर से मरीजों की पैथोलॉजी जांच लीलावती पॉलीक्लिनिक से करने के दस्तावेज दिए गए थे. बीमा कंपनी ने जब भुगतान के दावों की जांच की तो पता चला कि बंद हो चुके लीलावती पॉलीक्लिनिक के नाम पर निर्गत रिपोर्ट के आधार पर ऑपरेशन करने का दावा किया गया है. इसके बाद बीमा कंपनी ने भुगतान के दावों को रद्द कर दिया और सरकार को इस संबंध रिपोर्ट भेजी.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह रिपोर्ट अगस्त 2022 में सरकार को दी गई. इसके 5 महीने के बाद जनवरी 2023 में झारखंड स्टेट आरोग्य समिति ने इस मामले के जांच के आदेश दिए. समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आंखों के ऑपरेशन के दौरान लीलावती पॉलीक्लिनिक बंद था .यह जांच धनबाद के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में बनी जांच समिति ने की थी .जांच समिति ने बीमा कंपनी और अस्पताल का पक्ष सुना. साथ ही लीलावती पॉलीक्लिनिक के संचालक से भी पूछताछ की. उसके बाद जुलाई 2023 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी. नियम के अनुसार दावे में कोई झोल होता है तो तीन गुना आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान है. धनबाद के अस्पताल ने ऑपरेशन के मद में 50.78 लाख रुपए का दावा किया था .उसके बाद सरकार ने अस्पताल पर 1.52 करोड रुपए का दंड लगाया है. जो भी हो लेकिन यह मामला गंभीर है.
आयुष्मान भारत योजना के नाम पर खिलवाड़
आयुष्मान भारत योजना के नाम पर इस तरह का खिलवाड़ करने वाले क्या सिर्फ आर्थिक दंड के ही हकदार हैं. गरीबों के नाम पर खुल्लम-खुल्ला लूट मचाने वाले ऐसे अस्पतालों पर ठोस करवाई नहीं होनी चाहिए. धनबाद का तो यह एक उदाहरण मात्र है. पूरे झारखंड के अस्पतालों में इस तरह के खेल हो रहे हैं. सरकार को तो एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर सभी अस्पतालों की जांच करानी चाहिए और जो भी इसमें दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. अगर अस्पताल खोलकर गरीबों के नाम पर लूट मचाने वालों के मनोबल को नहीं तोड़ा गया तो यह प्रवृत्ति आगे और बढ़ेगी.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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