दुमका (DUMKA): पाकुड़ जाने के क्रम में पूर्व सीएम चंपाई सोरेन दुमका परिसदन पहुचे. जहाँ भाजपा कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. भाजपा जॉइन करने के बाद पूर्व सीएम चंपाई सोरेन पहली बार दुमका पहुचे थे.
घुसपैठ का मुद्दा सबसे जटिल मुद्दा- चंपाई सोरेन
परिसदन में मीडिया से बात करते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि घुसपैठ का मुद्दा काफी जटिल मुद्दा है. पाकुड़ में आयोजित माझी महल महासमेलन में इस मुद्दा पर आज विचार विमर्श हो रहा है, जिसमे शामिल होने पाकुड़ जा रहे है. उन्होंने कहा कि 1855 में सिदो कान्हू, चांद भैरो, फूलो झानो के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी. जिसके बाद संथाल परगना का गठन हुआ. संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम बना. उस धरती से संथाल का बेदखल होना संथाल की संस्कृति, परंपरा और भाषा पर प्रहार है. संथाल समाज के बीच में इस बात का उठना स्वाभिक है. मांझी महल महासम्मलेन में जो निर्णय होगा हम लोग उसके साथ हैं.राज्य सरकार इसको कैसे देख रही है इस पर वही बता सकते है. लेकिन सोचने वाली बात है कि संथाल परगना में मांझी महल महासम्मलेन क्यों बुलाना पड़ा. उन्होंने कहा कि मुद्दा वही है, संथाल परगना बनाना है अपनी भूमि को बचाना है. जो हमारे पूर्वजों ने अंग्रेज से लोहा लेकर उस धरती को आवाद किया है, संस्कृति परंपरा को बचाया है, उस जगह में अगर आदिवासी का एक एक बस्ती उजड़ते जायेगा यह छोटा सवाल नही है.
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधान मंत्री बने है. कल कोल्हान की धरती में जाकर वहां की जनता से संवाद कर हर चीज जानने का प्रयास किया है. उम्मीद है कुछ तो काम होगा. यहां बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन पाकुड़ के डंगापाड़ा में माझी परगना लाहन्ती बैसी आंदोलन कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे. जहां संथाल परगना में बीजेपी कैसे मजबूत हो इसको लेकर रणनीति तैयार करेंगे. साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठ जो बेजेपी का बड़ा मुद्दा है उसको लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधेंगे.
रिपोर्ट. पंचम झा
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