Tnp desk:- राज्य की सियासी तपिश से जिस तरह की गर्माहट पैदा कर दी है. साफ है कि अंदर ही अंदर कुछ तो हो रहा है, कुछ तो पक रहा है, क्योंकि कयासों के इस शोर में इसकी तासीर यही बता रही है.आने वाले वक्त में इसकी बानगी दिखेगी. इसका असर भी जोरदार होने की संभवाना जताई जा रही है. झारखंड में मौजूदा वक्त में इस ठिठुरती सर्दी में राजनीति का तापमान बढ़ा हुआ है, जो ऐसी तस्दीक करता है कि इसकी गर्मी से बेचैनी बढ़ेगी.
तथाकथीत जमीन घोटले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिले ईडी के सात समन को दरनिकार करना, गांडेय विधानसभा से जेएमएम विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद, साल की पहली तारीख से ही राज्य में खलबली मची हुई है. चर्चा मुख्यमंत्री की वाइफ कल्पना सोरेन के मुख्यमंत्री बनाए जाने की थी. हालांकि, सीएम हेमंत इसे महज बेबुनियाद बकवास औऱ भाजपा की उड़ायी अफवाह बता कर बहुत हद तक इस पर विराम लिया दिया है.
सीएम हेमंत पर हमलावर भाजपा
इधर, विपक्ष भाजपा लगातार हमलावर होकर राज्य की सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर तरह-तरह की तोहमतों की फेहरिश्त गिनाती रही है. उनकी कारस्तानियों को गिना-गिनाकर आवाम को बता-समझा रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने झारखंड पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को याद किया और मुख्यमंत्री हेमंत को इसके जरिए नसीहतें दे रहें हैं. उन्होंने बताया कि किस तरह मधु कोड़ा का राज्य को लूटने और भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लाने के बाद उनका बुरा हस्र हुआ. बाबूलाल बोले जब कोड़ा जेएमएम,कांग्रेस और राजद के सहयोग से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए. उस दरम्यान मधुकोडा को रबर स्टंप समझकर ऊपर के दलों के नेता, दलाल-बिचौलिए औऱ कुछ अफसर सारा मधु खा गये. बेचारे नाम के मधु आज भी कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते कोड़ा खाते घूम रहें है.
बाबूलाल की हेमंत सोरेन को नसीहत
उन्होंने मधु कोड़ा का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री सोरेन को समझाया कि लूटपाट कर जमा की गई नामी-बेनामी जमीन-जायदाद केन्द्रीय एजेंसी जब्त कर लेगी. नोट-पानी दलाल, बिचौलिए और कुछ बेईमान अफसर हजम कर सारा माल देश-विदेश ले जाएंगे. जो कुछ बचेगा भी तो मुकदमा लड़ते-लड़ते कोर्ट कचहरी के महंगे और भारी-भरकम वकीलों की फौज पर खर्च हो जाएगी.
2006-2008 तक मुख्यमंत्री थे मधु कोड़ा
मधु कोड़ा जब निर्दलीय विधायक के तौर पर झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे, तो राज्य ही नहीं पूरे देश में चर्चा खूब हुई थी. लोग इसे लोकतंत्र की खूबसूरती और एक आम इंसान का भी शिखर तक पहुंचने की तरह-तरह कहानियां गढ़ा करते थे. मधु कोड़ा उस वक्त जेएमएम, कांग्रेस और राजद के समर्थन मुख्यमंत्री बनें थे. लालू यादव ने इसके लिए बड़ी अच्छी फील्डिंग की थी. उनकी सरकार 2006 से 2008 तक बड़ी लड़खड़ाते हुए चली थी. इस दौरान उन पर कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. जिसके चलते राज्य की बड़ी बदनामी औऱ दाग लगा था. घपलों-घोटालों के चलते आज भी मधु कोड़ा कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते फिरते हैं. दरअसल, सीएम रहने के दौरान, जब सीबीआई, ईडी और आईटी के अनुसार कथित भ्रष्टाचार सामने आए, तो कोड़ा ने 23 अगस्त 2008 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. कोयला घोटाले में मधु कोड़ा पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने आवंटन के बदले अरबो रुपए की रिश्वतखोरी और हेराफेरी का आरोप लगाया था . इस मामले में ईडी ने साल 2009 में रिपोर्ट दर्ज करायी थी. इसके कुछ दिन बाद ही मधु कोड़ा गिरफ्तार कर लिए गये थे. बाद में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को तीन साल की सजा औऱ 25 लाख का जुर्माना कोर्ट ने लगाया था. मधु कोड़ा के राजनीति का अवसान, अर्श से फर्श और उत्थान से पतन की दास्तान समय-समय पर सुनाई पड़ती रहती है. जब-जब झारखंड की सियासत में कुछ खलबली और उथल-पुथल मचती है तो मधु कोड़ा अनायास याद आ ही जाते हैं.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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