धनबाद(DHANBAD): विधायक या सांसद का चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाला हर कोई चाहता है कि जिला अध्यक्ष उसके पसंद का हो. लेकिन सवाल है कि झारखंड में क्या ऐसा हो पाएगा. हालांकि गणेश परिक्रमा का दौर लम्बे समय से चल रहा है ,लेकिन आज भी निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है. यह प्रतीक्षा तब हो रही है जब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व झारखंड में कम से कम बाबूलाल मरांडी को निष्कंटक रास्ता दे दिया है. उम्मीद की जा रही थी कि नवरात्र में ही प्रदेश समिति की घोषणा हो जाएगी और इसके बाद जिला अध्यक्षों के नाम का भी ऐलान हो जाएगा. लेकिन अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं है. इस बीच भाजपा नेता कह रहे हैं कि संगठन मंत्री कर्मवीर जी के छत्तीसगढ़ चले जाने के कारण यह मामला लटक गया है. अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा प्रदेश समिति के गठन की घोषणा नहीं हुई है.
और कितने कील कांटे निका निकालने की होगी प्रतीक्षा
बाबूलाल मरांडी के अध्यक्ष बनने के बाद से ही उम्मीद की जा रही है. इसके पहले तो कहा जा रहा था कि रघुवर दास सहित अन्य के समर्थक ज़िलों में है. प्रदेश में भी है. ऐसे में छेड़छाड़ करना खतरा भरा काम हो सकता है. कुछ लोग अर्जुन मुंडा के भी होंगे. इसलिए जिला अध्यक्षों पर हाथ डालने के पहले सब कुछ ठीक-ठाक करने की सोच पर काम हुआ. रघुवर दास को ओडिशा का मुख्यमंत्री बनाकर झारखंड से अलग कर दिया गया तो अर्जुन मुंडा अभी केंद्र की राजनीति में है. अब बाबूलाल मरांडी को ही संगठन के लोगो से राय कर निर्णय लेना है. इस निर्णय में जितना विलंब हो रहा है, उसको लेकर कई तरह की चर्चाएं हवा में तैर रही है. चुनाव का वक्त आने ही वाला है, ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी भी बड़ी है और संगठन का काम भी चुनौती पूर्ण होगा. ऐसे में प्रदेश कमेटी की घोषणा हर एक कील कांटे को निकाल कर ही की जाएगी, इतना तो तय है. लेकिन जिला स्तर पर कई जिला अध्यक्षों का कार्यकाल भी पूरा हो गया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के कार्यकाल से ही अंदाज लगाया जा रहा था कि अब नाम की घोषणा हो जाएगी. लेकिन नाम की घोषणा नहीं हुई.
दीपक प्रकाश की जगह बाबूलाल मरांडी आ गए
दीपक प्रकाश की जगह बाबूलाल मरांडी आ गए. धनबाद की अगर बात की जाए तो यहां महानगर जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह और ग्रामीण जिला अध्यक्ष ज्ञान रंजन का कार्यकाल भी पूरा हो गया है. कुछ दिन पहले तक इन पदों के लिए लॉबिंग भी हो रही थी लेकिन फिर मामला ठंडे बास्ते में चला गया. वैसे भी प्रदेश अध्यक्ष की बात अगर छोड़ भी दी जाए तो चुनाव के समय में जिला अध्यक्षों की भी बड़ी भूमिका होती है. जिला अध्यक्ष नियुक्ति के पहले अमूमन उस क्षेत्र के विधायक, सांसद या अन्य बड़े नेताओं से राय विचार किया जाता है. ऐसे में धनबाद के महानगर और ग्रामीण जिला अध्यक्ष कौन होंगे, इसको लेकर कयास तो बहुत लगाए जा रहे हैं लेकिन नाम की घोषणा नहीं हो रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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