टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-इस बार प्रदेश में मानसून का क्या हाल है और किस कदर बेरुखी दिख रही है. ये किसी से छुपी हुई नहीं है. मेघ की लुका-छिपी के चलते झारखंड में लगातार दूसरे साल सुखाड़ के हालात पैदा हो गये हैं. हालांकि, कमजोर मानसून के चलते आज राज्य के कई हिस्सों में बारिश का अनुमान जताया गया है. मौसम विभाग की माने तो 28 अगस्त को राज्य के कई इलाकों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. मौसम विभाग ने साफ कर दिया है कि राज्य में मानसून फिर कमोजर पड़ रहा है. 27 अगस्त तक बारिश नहीं हुई है. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि 2 सिंतबर तक मानसून सुस्त रहेगा.
सामान्य से 35 मिमी कम बारिश
कम बारिश होने की वजह से राज्य में सामान्य से करीब 35 मीमी पानी कम बरसा है. एक दो जिलों की बात छोड़ दिया जाए तो सभी स्थानों पर सामान्य से कम वर्षा हुई है. 31 अगस्त को राज्य के कई हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना जाहिर की गयी है. मौसम विभग ने राज्य के मध्य भागों रांची, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, खूंटी और रामगढ़ के कुछ इलाकों में बारिश की आशा जताई है. वही दक्षिणी भाग पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और सरायकेला-खरसावां के कुछ हिस्सों में पानी बरसने की संभावना जताई है.
सुस्त रहेगा मॉनसून
राज्य में 2 सितंबर तक मानसून सुस्त रहेगा, मौसम विभाग ने साफ किया है कि राज्य में अगले चार दिनों तक मानूसन का उतना असर नहीं रहेगा. दरअसल, झारखंड से मॉनसून टर्फ उत्तर की ओर बिहार से होकर गुजर रहा है. यह गोरखपुर, पटना, बांकुड़ा, दीघा होते हुए दक्षिण में मध्य खाड़ी तक स्थित है. इस वजह से बंगाल से सटे झारखंड के जिलों में कहीं कहीं बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया गया है.
किसानों के चेहरे मुरझाएं
मॉनसून की दगबाजी के चलते राज्य में सूखाड़ की स्थिति पैदा हो गयी . लगातार ये दूसरा साल है, जब पानी नहीं बरसने से खेतों में लगी धान की फसल को पानी नहीं मिल रहा है. इस साल तो पानी की कमी के चलते धान की रोपनी भी नहीं हो पाई है. इस विकट हालात के चलते किसानों के चेहरे पर मुस्कान गायब है. उनके चेहरे पानी नहीं बरसने से मुरझा गये हैं. झारखंड में मानसून के रूठने से केन्द्र सरकार भी हरकत में आई है. जल्द ही झारखंड के सुखाड़ प्रभावित नौ जिलों में राहत योजना चलाने के लिए 100 करोड़ रुपये मुहैय्या करायी जाएगी. आपको बता दे पिछले साल भी बारिश नहीं होने से 236 ब्लॉक सुखाड़ घोषित किए गये थे.
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