रांची(RANCHI): झारखंड में मॉनसून की बेरुखी से किसानों के चेहरे पर बेबसी का आलम देखा जा रहा है. कम पानी होने की वजह से सुखाड़ का डर सताने लगा है. लग रहा है पिछले साल की तरह इस बार भी झारखंड के कई जिलों में सुखाड़ जैसे हालात बन जाएंगे. इसे देखते हुए झारखंड सरकार भी अलर्ट है, और किसानों के हर दर्द को दूर करने की कोशिश में लगी है. एडवांस में प्लान तैयार किया जा रहा है कि अगर सुखाड़ होता है तो कैसे उससे निपटना है.
बता दें कि झारखंड के ज्यादातर जिलों में 49 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. जिससे धन की रोपनी अब तक नहीं हो पाई है. इससे किसान भयभीत है, आसमान से बारिश की बूंद नहीं टपक रही है, और ना ही सिंचाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था है. हर साल पलामू और कोल्हान प्रमंडल सुखाड़ के चपेट में आ जाता है. किसी तरह से किसानों ने तो धान का बीचड़ा किसी तरह तैयार किया है. लेकिन धान की रोपनी कम पानी के वजह से नहीं हो सकी है.
लेकिन अब झारखंड सरकार किसानों के दर्द को दूर करने की लगातार कोशिश कर रही है. कृषि मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने बताया कि वर्षा कम हुई है. ऐसे में जो वैसे जिले हैं जहां पानी कम हो रहा है उस जगह पर विशेष नजर रखी जा रही है. किसानों को किसी भी हाल में बदहाल नहीं होने दिया जाएगा. हर संभव मदद के लिए सरकार तैयार है. झारखंड के सभी जिलों में हालात अलगअलग है. कहीं पानी पर्याप्त हुआ है तो कहीं जरूरत से कम है. खास कर पलामू प्रमंडल और कोल्हान में पानी का अनुपात कम आंका गया है. जिसे देखते सभी जिलों और प्रमंडल के लिए अलग-अलग तैयारी की जा रही है. सभी जगह पर नजर है. जिससे किसान बदहाल नहीं होंगे.
उन्होंने कहा कि किसानों को अलग-अलग योजनाओं से जोड़ कर लाभ दिया जा रहा है. किसानों की फसल बर्बाद होने पर उन्हें बीमा राशि का भुगतान तुरंत किया जाएगा. साथ ही जहां कम बारिश होती है वहां मड़ुआ और अन्य वैसे बीज को उगाएगा उसे सरकार प्रोत्साहन राशी भी देने का काम कर रही है.
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