5 बेटी को जन्म देने वाली चांदनी के साथ ससुराल वालों ने किस तरह प्रताडि़त किया , जानिए खबर में


दुमका (GODDA): हम 21वीं सदी में जी रहे है. आज के समय मे एक तरफ तो हम चांद की ओर रुख कर रहे हैं ताकि नई दुनिया बसा सकें, वहीं दूसरी ओर बेटा और बेटी के मकड़जाल में इस कदर उलझ गए है कि 5 बेटियों को जन्म देने के कारण उसे प्रताड़ित करने से बाज नहीं आते. ऐसा ही एक मामला आया है झारखंड की उपराजधानी दुमका में. क्या है पूरा मामला देखिए The News Post की इस खास रिपोर्ट में जानिए.
क्या है मामला
5 बेटियों के साथ अपने पिता और भाई को लेकर एसपी से मिलने पहुंची एक महिला का नाम है चांदनी बीबी. वह एसपी से मिलने पहुंची है तो निश्चित रूप से महिला किसी मुसीबत में है और मुसीबत की घड़ी में एक महिला को अपने पति के साथ कि जरूरत होती है. इसके साथ पति को रहना चाहिए, लेकिन वो नहीं है. रहे भी तो कैसे? चांदनी अपने पति की प्रताड़ना की शिकायत लेकर ही तो एसपी से मिलने पहुंची है. चांदनी का कसूर सिर्फ इतना है कि इसने 5 बेटियों को जन्म दिया है. मुफस्सिल थाना के दुमुंहानी निवासी जाकिर अंसारी की लाडली चांदनी की शादी लगभग 11 बर्ष पूर्व ढाका निवासी सनाउल अंसारी के साथ हुई. दाम्पत्य जीवन ठीक ठाक चल रहा था. समय के साथ चांदनी 3 बेटियों को जब जन्म दी तो ससुराल पक्ष द्वारा ताना मारने का दौर शुरू हुआ. 4थी बेटी को जन्म देने के बाद चांदनी पर मायके से 2 लाख रुपये नकद और एक बाइक लाने का दबाब बनाया जाने लगा. बेटा की चाहत में चांदनी 5वी बार मां बनी लेकिन जब 5वीं संतान भी लड़की हुई तो चांदनी को शारीरिक औऱ मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा. हद तो तब हो गयी जब पति दूसरी महिला को घर ला कर रखने लगा. चांदनी ने जब इसका विरोध किया तो उसे घर से धक्का देकर बाहर निकाल दिया गया. पांचों बेटी को लेकर चांदनी मायके पहुंच गयी. न्याय की आस में पिता और भाई को साथ लेकर एसपी से मिलने पहुंच गयी.
न्याय की गुहार लगा रहा पिता
बेटी की शादी कर एक पिता अपने दायित्व से कुछ हद तक मुक्त हो जाते है. लेकिन जब शादी के एक दशक बाद बेटी अपने पिता के घर रहने को विवश हो जाए तो उस पिता के दिल पर क्या गुजरेगी इसका अंदाज आप लगा सकते है. तभी तो चांदनी को न्याय दिलाने की आश में पिता जाकिर अंसारी और भाई मुन्ना अंसारी एसपी से मिलने पहुंचते है. वैसे पीड़ित परिवार की मुलाकात एसपी से नहीं हो पाई, एसपी के नाम आवेदन पीड़ित परिवार लौट गए.
समाज में जागरूकता की जरूरत
मेडिकल साइंस कहता है कि लड़का या लड़की का जन्म लेना पति पर निर्भर करता है. लैंगिक बिसमता को दूर करने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक प्रयासरत है. बेटा बेटी के फर्क को मिटाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है, इसके बाबजूद लोग समझ क्यों नहीं पाते. हमारे सभ्य समाज में चांदनी को आखिर किस जुर्म की सजा मिल रही. हमारे समाज मे ऐसी कई चांदनी होगी जो बेटी को जन्म देने की सजा भुगत रही होगी. जरूरत है लोगों को जागरूक बनने की, क्योंकि आज के समय मे बेटियां किसी से कम नहीं होती.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका
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