CHATRA: घर छोड़ सरकारी स्कूल भवन में शरण लेने पर क्यों मजबूर हुए ग्रामीण, जानिये इसका कारण


चतरा (CHATRA): चतरा में इन दिनों झुंड से बिछड़े हाथी जमकर उत्पात मचा रहे हैं. चतरा दक्षिण वन प्रमंडल के सिमरिया वन क्षेत्र के सोहर कला और पीरी वन क्षेत्र के तोरार जंगल से सटे गांवों में हाथियों के झुंड के उत्पात से ग्रामीण दहशत में हैं. स्थिति यह है कि हाथियों के भय से ग्रामीण घर छोड़कर गांव के सरकारी स्कूल के भवन में शरण ले चुके हैं और रतजगा कर अपना और अपने परिवार की जान माल की रक्षा कर रहे हैं. सबसे भयावह स्थिति सिमरिया वन क्षेत्र के सोहर कला गांव की है. यहां रात के अंधेरे में पहुंचे झुंड ने उत्पात मचाते हुए करीब एक दर्जन घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है. साथ ही घरों में रखे अनाज को खाते हुए घरों में रख अन्य सामानों को भी छतिग्रस्त कर दिया. वहीं कई दुकानों के शटर भी तोड़ दुकान के भीतर रखे सामान को खाते हुए क्षतिग्रस्त कर दिया. जिसके कारण इस गांव के ग्रामीण दहशत में है. ग्रामीण वन विभाग से लगातार हाथियों के झुंड को खदेड़ने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन वन विभाग से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों में लगातार आक्रोश पनप रहा है. यही हाल पीढ़ी वन क्षेत्र के दौरान गांव का भी है.
ग्रामीणों के झेलना पड़ रहा आर्थिक नुकसान
ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों के एक झुंड में 4 और दूसरे में एकमात्र हाथी है. भटक कर गांव में घुस जा रहा है. और जमकर उत्पात मचाते हुए घरों फसलों और दुकानों को क्षतिग्रस्त कर रहा है. जिससे अकाल की स्थिति से जूझ रहे किसानों और ग्रामीणों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि डीएफओ झुंड से भटके हाथियों को गांव से खदेड़ने के मामले में जल्द ही ठोस कदम उठाने की बात कर रहे हैं. डीएफओ ने बताया कि अधिकारियों की टीम को प्रभावित इलाकों में भेजकर क्षति का आकलन लगाया जा रहा है. प्रभावित ग्रामीणों को सरकारी मुआवजा दिलाने के साथ-साथ इलाके से हाथियों को खदेड़ने की दिशा में भी उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही हाथियों के झुंड को ग्रामीण इलाकों से खदेड़ कर सुरक्षित वन में भेज दिया जाएगा.
जानिये झारखंड में हाथियों से नुकसान के आकड़े
झारखंड में हाथियों के कारण हर वर्ष ग्रामीणों को जान गंवानी पड़ती है. साल 2021 में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक गत 11 साल में लगभग 800 लोगों की मौत हाथियों के कारण हुई है. पिछले आठ साल में विभिन्न कारणों से 60 हाथियों की मौत हो चुकी है. पांच हाथियों को तस्करों ने मार डाला, ट्रेन दुर्घटना से चार हाथियों, बीमारी से पांच हाथियों और आठ हाथी की मौत विभिन्न हादसों में हुई. जबकि एक हाथी को वन विभाग के आदेश के बाद 2017-18 में मारा गया था. वहीं 14 हाथियों की अप्राकृतिक मौत हुई है. आठ हाथियों की मौत अधिक उम्र हो जाने के कारण हुई है.
रिपोर्ट: संतोश कुमार, चतरा
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