धनबाद(DHANBAD): झारखंड बनने के बाद पहली बार धनबाद कोयलांचल ने इतना गंभीर बिजली संकट देखा और देख रहा है. 16 से 18 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है. बिजली संकट के कारण आम जनता परेशान है ही, उद्योग चलाने वाले अब तालाबंदी करने का मन बना रहे है. चुकि बिजली के अभाव में उद्योग चल नहीं रहे हैं ,उत्पादन हो नहीं रहा है. बिजली संकट के लिए बिजली निगम के अधिकारी डीवीसी को दोषी ठहराते है. कुल मिलाकर देखा जाए तो बिजली संकट का कोई समाधान दिख नहीं रहा है. झारखंड बनने के के बाद जब मुख्य सचिव वी एस दुबे बने थे, तो उस समय बिजली की हालत खराब थी. लेकिन उन्होंने बिजली के सिस्टम को ठीक करने का प्रयास शुरू किया और बहुत हद तक सफल भी रहे. उपभोक्ताओं को भी लाभ हुआ और बिजली विभाग के अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा गया.
बिजली निगम के अधिकारी हो गए है बेफिक्र
लापरवाह और बेफिक्र अधिकारियों के कारण भी समस्याएं अधिक बढ़ रही है. एक तो बिजली विभाग में कोई बहाली नहीं हो रही है, नतीजा पूरी व्यवस्था मैनडेज के वेंटिलेटर पर चल रही है. लाइनमैन से लेकर अधिकतर काम करने वाले डेली वेजेज पर है. नतीजा है कि काम के प्रति उन्हें इंटरेस्ट भी नहीं रहता और उपभोक्ताओं के प्रति उनकी कोई सहानुभूति भी नहीं दिखती. जब भी बात करेंगे तो बिजली निगम के अधिकारी बोलते हैं कि डीवीसी से फॉल्ट है.डीवीसी कहता है कि जितनी सप्लाई की जरूरत है, उतनी सप्लाई दी जा रही है. तो फिर आखिर समस्या कहां हो रही है. बिजली विभाग नए- नए नियम लगाकर उपभोक्ताओं को परेशान कर रहा है. एक तो बिल मिलता नहीं और एक साथ दो दो-तीन महीने का बिल उपभोक्ताओं को दे दिया जाता है. उसके बाद उपभोक्ताओं की गर्दन मरोड़ कर पैसा वसूलने का तरीका ढूंढा जाता है. जो भुगतान नहीं कर पाते, उनकी लाइन काट दी जाती है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास है ऊर्जा विभाग
बहरहाल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास ऊर्जा विभाग है. लोगों को उम्मीद हमेशा बनी रहती है कि मुख्यमंत्री ध्यान देंगे लेकिन ऐसा होता नहीं है.
बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा जिला व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अमितेश सहाय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले और कोयलांचल में बिजली संकट की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया. बताया कि डीवीसी के कारण समस्याएं अधिक बढ़ गई है. मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिया है कि इस ओर ध्यान दिया जाएगा. बहरहाल कोयलांचल के उद्योगपति परेशान हैं, एक तो उद्योग चलते नहीं है, कच्चा माल मिलता नहीं है और अगर किसी तरह से जुगाड़ कर काम चलाना भी चाहते हैं तो कुछ होता नहीं है. सवाल उठता है कि कमी डीवीसी में है कि बिजली वितरण निगम के अधिकारियों में. यह देखने वाला कोई नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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