धनबाद(DHANBAD) | कोई भी संकट जब व्यवस्था पर भारी पड़ जाता है तो संबंधित अधिकारियों की घिग्घी बंध जाती है. धनबाद में बिजली संकट को लेकर भी कमोबेश यही स्थिति है. पिछले कई दिनों से अधिकारी "तोता रट" लगाए हुए हैं कि उन्हें जहां से भी शिकायत मिलती है, त्वरित कार्रवाई करते है. बिजली की अधिक से अधिक आपूर्ति करने का प्रयास करते है. लेकिन नतीजा इसके ठीक उलट है. गर्मी जरूर है, लेकिन आखिर क्या वजह है कि धनबाद कोयलांचल में बिजली 24 घंटे में 6 -7 घंटे ही आपूर्ति हो रही है. अधिकारी चाहे तकनीकी बातों का जितना भी रोना रो लें, लेकिन गर्मी के मौसम के लिए उनकी क्या तैयारी थी, इसका जवाब उनके पास नहीं है. अलबत्ता उपभोक्ताओं से ही अनुरोध करते हैं कि लोड कम करे. जो भी हो लेकिन बिजली संकट ने तो हद कर दी है. जनता आक्रोशित है, कारोबारी शिकायत कर रहे है , बिजली यूनियन में गुस्सा है. कोई यह बताने वाला नहीं है कि आखिर बिजली कब और कैसे सुधरेगी. यह बात सच है कि गर्मी बहुत है, उपकरणों को मेंटेन करने के लिए उन्हें राहत की जरूरत पड़ती होगी.
24 घंटे में 6-7 घंटे ही मिल रही है बिजली
लेकिन यह जरूर क्या इतनी अधिक हो गई है कि 24 घंटे में 6-7 घंटे बिजली मिलेगी. यह एक बहुत बड़ा सवाल है और इस सवाल का जवाब बिजली अधिकारियों के पास नहीं है. झारखंड में 2024 चुनावी साल है. तब यह हालत है तो आगे क्या होगा ,इसके तो भगवान् ही मालिक है. शुक्रवार को धनबाद के विधायक राज सिन्हा के नेतृत्व में जनता महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया. महाप्रबंधक घेराव स्थल पर आकर विधायक से बातचीत की. भरोसा दिया कि बिजली में सुधार जल्द हो जाएगा. सवाल उठता है कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी है कि व्यवसाईयों को शिकायत करनी पड़ रही है , जनता को घेराव करना पड़ पड़ रहा है. विधायक को आंदोलन करना पड़ रहा है. गुरुवार को तो धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो ने बोकारो में समीक्षा बैठक भी की. बिजली संकट की वजह से पानी की भी किल्लत कोयलांचल में हो रही है. यह बात सच है कि तापमान 43 से 44 डिग्री के आसपास रह रहा है. भीषण गर्मी से लोग हलकान है. इसी हालत में लोगों को अधिक बिजली की जरूरत होती है, लेकिन लोगों को बिजली मिलती नहीं. यह तो झारखंड सरकार पर भी सवाल है कि सबको मालूम होता है कि गर्मी में बिजली की खपत बढ़ेगी, ऐसे में अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती ? कभी डीवीसी के माथे पर ठीकरा फोड़ा जाता है तो कभी मेंटेनेंस के नाम पर, लोगों को समझाया जाता है.
रात में नींद से उठकर पहुंच जा रहे घेराव करने
लोग रात में नींद से उठकर बिजली विभाग का घेराव करने लग जा रहे है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी गंभीर समस्या है. सवाल उठता है कि धनबाद की किस्मत में क्या लिखा हुआ है. आँचल में दूध और आँखों में पानी लेकर धनबाद कब तक बिजली -पानी के लिए चिरौरी करता रहेगा. झारखंड के लोग प्रदेश में भाजपा की सरकार को भी देख लिया है ,झामुमो की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को भी देख रहे है. हाय बिजली, हाय बिजली -हाय गर्मी ,हाय गर्मी, हाय पानी ,हाय पानी रटते -रटते धनबाद के दिन और रात कट रहे है. जरा अंदाजा करिये घर के बाहर तेज धूप हो और घर के भीतर बिजली कटी हो, वह भी आधे घंटे से नहीं बल्कि कई घंटे से. इस हालत में घर का इनवर्टर फेल कर गया हो और घर में छोटे-छोटे बच्चे हो, तो फिर उस परिवार की क्या हालत हो रही होगी , इसका सिर्फ अंदाज ही लगाया जा सकता है. यह कोयले की राजधानी है ,यहां का कोयला दूसरे प्रदेशों को रौशन करता है. लेकिन खुद गर्मी झेलता है. इसकी आवाज़ नक्करखाने में तूती की आवाज़ साबित होती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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