धनबाद(DHANBAD): सावन बीत गया, भादो आ गया. इस भादो में ना बिजली और ना पानी से लोग तंग और तबाह हैं. प्रकृति तो नाराज है ही. पूरे झारखंड में सुखाड़ की स्थिति है. बारिश नहीं होने से खेत, खलिहान में दरारें फट गई है. किसानों को परेशानी ही परेशानी है. घर की पूंजी लगाकर जो थोड़ा बहुत रोपाई का काम किए थे ,वह भी बिछड़े अब सूख रहे हैं. भादों की उमस भरी गर्मी में बिजली संकट कोड में खाज का काम कर रही है.
बिजली संकट से परेशान धनबाद के लोग
धनबाद शहर में लगातार एक घंटे तक भी बिजली नहीं रह रही है. 24 घंटे में 10 घंटे से अधिक बिजली की कटौती हो रही है. धनबाद को जरूरत है 215 मेगावाट बिजली की लेकिन मिल रही है सिर्फ 180 मेगावाट. भादो की यह गर्मी लोगों को बेचैन करके रख दिया है. ना दिन में बिजली रह रही है ना रात में. घरों के इनवर्टर बैठ जा रहे हैं. जनरेटर फेल कर जा रहे हैं. आधी आधी रात तक लोग बिजली का इंतजार कर रहे हैं. विभाग दावा चाहे जो भी कर ले लेकिन नियमित बिजली देने में विभाग हाफ रहा है. अस्पतालों तक की स्थिति सही नहीं है. यह हाल कोई एक दिन का नहीं है, रोज-रोज की यही स्थिति है. सरकार चाहे अतिरिक्त बिजली खरीदने और वितरण करने का दावा कर ले, लेकिन लोगों को बिजली नहीं मिल रही है. यह हकीकत है.
सामान्य से लगभग 50% कम बारिश
इधर, धनबाद में सामान्य से लगभग 50% कम बारिश हुई है .कम बारिश के कारण नदी, तालाब के जलस्तर तेज गति से कम हो रहे हैं .कम बारिश का असर तो शुरू हो गया है लेकिन अगले साल इसका असर अधिक दिखेगा. पानी संकट भीषण होगा. धनबाद की 50% से अधिक आबादी शहरी जलापूर्ति और बोरिंग पर निर्भर करती है .ऐसे में जल स्तर पर इसका असर पड़ना बहुत स्वाभाविक है. धनबाद में हर एक साल औसतन 1200 मिली मीटर बारिश होती है. लेकिन इस बार यह आंकड़ा 600 को भी छूएगा अथवा नहीं, इसमें संदेह है .वैसे मौसम विभाग को अनुमान है कि चालू महीने में कुछ बारिश हो सकती है. लेकिन यह बारिश कितनी राहत देगी, यह देखने वाली बात होगी.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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