धनबाद(DHANBAD) : आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के "हथियार" से ही जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो ने उनको बड़ा घाव दे दिया है. सुदेश महतो का कद छोटा कर दिया है. यह झारखंड में अभी चर्चा का विषय बना हुआ है. झारखंड में चुनाव परिणाम आने के बाद सुदेश महतो और जयराम महतो की बड़ी चर्चा है. सुदेश महतो ने भी रोजगार के मुद्दे पर युवाओं को एकजुट कर चुनावी राजनीति में किंग मेकर की भूमिका में आए थे. डिप्टी सीएम तक की कुर्सी तक पहुंचे. 2019 में जब भाजपा के साथ गठबंधन नहीं हुआ तो भाजपा के हार की वजह आजसू के साथ गठबंधन नहीं होना बताया गया था. लेकिन 2024 में यह मिथक पूरी तरह से टूट गया. आजसू 10 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे सिर्फ एक सीट मांडू में जीत हासिल हुई. वैसे तो जेएलकेएम को सिर्फ डुमरी सीट पर ही जीत हासिल हुई है.
कम से कम डेढ़ दर्जन सीटों जीलकेएम ने लगाया डेंट
लेकिन उन्होंने कम से कम डेढ़ दर्जन सीटों पर भाजपा, आजसू, राजद, जदयू का समीकरण बिगाड़ दिया. सबसे ज्यादा डेंट जेएलकेएम ने भाजपा को दिया है. जिन सीटों पर जेएलकेएम की वजह से भाजपा पराजित हुई. उनमें टुंडी, सिंदरी, निरसा, बोकारो, बेरमो, चंदनकियारी, गिरिडीह, कांके, छतरपुर, खरसावां के नाम गिनाये जाते है. इस तरह जेएलकेएम ने आजसू को सिल्ली, ईचागढ़, रामगढ़ में पराजित करने में जबरदस्त भूमिका निभाई. चतरा सीट पर राजद, बगोदर सीट पर माले और तमाड़ में जदयू को भी जेएलकेएम ने बड़ा डेंट दिया है. बड़का गांव में कांग्रेस को भी हराने में जेएलकेएम की भूमिका बताई जाती है.
सुदेश महतो की राह पर ही चले जयराम महतो
जिस तरह युवाओं को एकजुट कर सुदेश महतो ने झारखंड की राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया था. ठीक उसी राह पर जयराम महतो ने भी युवाओं को एक जुट कर राजनीति में धमाकेदार एंट्री की है. यह अलग बात है कि एक समय निर्मल महतो झारखंड की राजनीति में बहुत तेजी से उभरे थे. यह समय 90 के दशक का था. लेकिन वह कोल्हान से बाहर नहीं निकल पाए. उनकी हत्या हो गई. फिर सुधीर महतो का नाम सामने आया था. कहा तो यह भी जाता है कि निर्मल महतो ने झामुमो से अलग होकर ऑल इंडिया झारखंड यूनियन का गठन किया था. बाद में यह सुदेश महतो की अगुवाई में चलने लगा. फिर जयराम महतो ने झारखंड की राजनीति में कदम रखा और लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने धमाकेदार एंट्री ली है. लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर जितने वोटों से पार्टियों की हार हुई है, उससे अधिक वोट जीलकेएम को आया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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