रांची (TNP Desk) : एक समय था जब चुनाव के दौरान गांव, शहर, गली मुहल्ले पोस्टर और बैनर से पटा पड़ा रहता था. लेकिन जैसे-जैसे समय बदला वैसे-वैसे चुनाव प्रचार का ट्रेंड भी बदलता गया. अब चुनाव प्रचार के पोस्टर, बैनर और झंडों पर सोशल मीडिया भारी पड़ रहा है. चुनाव के मैदान में उतरे उम्मीदवार भी सोशल मीडिया को हथियार बनाकर इसे इस्तेमाल कर रहे हैं. चुनाव आयोग की सख्ती के कारण प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. यही वजह है कि फेसबुक, एक्स, यूट्यूब, व्हाट्सएप सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर वीडियो, मीम्स और कार्टून के जरिये वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं.
झारखंड के नेता भी किसी से कम नहीं
झारखंड की बात करें तो, यहां के नेता व प्रत्याशी भी किसी से कम नहीं है. झारखंड में भी विभिन्न दलों के नेता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने एक टीम भी रखी हुई है. जो प्रतिदिन मतदाताओं को लुभाने के लिए वीडियो, रिल्स, और ग्राफिक्स के जरिये प्रचार कर रहे हैं. पिछले कुछ चुनावों में सोशल मीडिया का दायरा काफी बढ़ गया है, जिसकी भूमिका देखकर विभिन्न पार्टियां इसका जमकर इस्तेमाल कर रही है. खासकर बड़ी पार्टियों के तो आईटी प्रकोष्ठ और सोशल मीडिया सेल काम कर रही है. प्रत्याशी भी इसका खूब इस्तेमाल कर रही है. सभी नेता अपने-अपने सोशल मीडिया पेज के माध्यम से मतदाताओं को लुभा रहे हैं. नेताओं का भी मानना है कि इसके माध्यम से हम जनता तक आसानी से पहुंचते हैं और अपनी बात लोगों को बताते हैं. यही कारण है कि चुनाव में वीडियो एडिटर, कंटेंट राइटर मिमिक्री कलाकारों की मांग बढ़ गई है.
विपक्ष की खामियां बताने पर ज्यादा जोर
झारखंड में लोकसभा चुनाव चार चरणों में होगा. पहला चरण का मतदान 13 मई को होगा. इससे पहले विभिन्न दलों के प्रत्याशियों ने अपनी ताकत झोंक दी है. जनसभा के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं. इस बार पॉलिटिकल इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें अपनी खूबियां बताने के बजाय विपक्ष की खामियां बताया जा रहा है. नेताओं के बयान को कैसे इस्तेमाल किया जाए इस पर ज्यादा फोकस है.
कारोबार पर पड़ा असर
लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को जगरूक करने के लिए जब से चुनाव प्रचार का ट्रेंड बदला है तब से चुनाव प्रचार के सामग्री पर भी इसका असर दिखा है. बदलते ट्रेंड का प्रभाव परंपरागत तरीकों से प्रचार के लिए इस्तेमार होने वाले प्रिंटिंग कारोबार पर काफी प्रभाव पड़ा है. प्रचार के लिए बाजार में झंडा, बैनर, पोस्टर सहित अन्य सामग्रियों की मांग तेजी से घटी है. प्रिंटिंग कारोबार पर मंदी छायी हुई है. इस लोकसभा चुनाव में डिजिटलीकृत प्रणाली ने चुनाव प्रचार पर गहरा असर डाला है. सियासी प्रचार के बदले चलन से कारोबार चौपट हो गया है.
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