धनबाद(DHANBAD): धनबाद जिले की विकास योजनाओं का क्या हाल है, रफ्तार कितनी है, यह जानने के लिए किसी को अधिक मेहनत नहीं करनी होगी. शहर के 3 से 4 किलोमीटर रेडियस में घूम कर यह जाना जा सकता है कि धनबाद शहर या जिले की विकास की गति क्या है? झारखंड सरकार को धनबाद के विकास की कितनी चिंता है? डीएमएफटी फंड भी झारखंड की आमदनी का एक जरिया है? धनबाद के विकास की भी यह ताकत है. धनबाद रेल मंडल तो लोडिंग डिवीजन होने का खामियाजा भुगत ही रहा है. धनबाद को ट्रेन इसलिए नहीं मिल रही है क्योंकि यह लोडिंग डिवीजन है. यह बात हम नहीं कह रहे, रेलवे के महाप्रबंधक यह बात कह कर धनबाद से गए हैं.
आठ लेन सड़क तो बन गई, लेकिन अब तक सड़कों पर लाइट नहीं जल पाई
आठ लेन सड़क की जब मंजूरी मिली तो धनबाद का सीना चौड़ा हो गया था. उसे गर्व था कि झारखंड में पहली आठ लेन सड़क धनबाद के हिस्से में आई है. सड़क निर्माण की गति कब और कैसे धीमी हुई, फिर आगे कैसे चली, यह एक अलग कहानी है .लेकिन फिलहाल कुछ पैसों के लिए यह सड़क अंधेरे में है. विश्व बैंक की मदद से बनी झारखंड की पहली 8 लाइन सड़क पर अंधेरा पसरा हुआ है. 20 किलोमीटर लंबी सड़क पर लाइट लगे महीनों हो गए हैं, लेकिन अभी तक लाइट जली नहीं है. बिजली कनेक्शन नहीं मिलने के कारण ऐसा हुआ है. निगम ने इसका प्राक्कलन तैयार कर उपलब्ध करा दिया है. सूत्र बताते हैं कि 39 लाख रुपया बिजली वितरण निगम को देने पर ही ट्रांसफार्मर लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन इसके लिए फंड नहीं मिला. कैबिनेट से मंजूरी भी नहीं मिली.
धनबाद की ट्रैफिक व्यवस्था अभी भी जवानों की सिटी के भरोसे
क्या आप भरोसा कर सकते हैं कि धनबाद में अभी भी ट्रैफिक व्यवस्था जवानों की सिटी और उनके हाथ के इशारों से चलती है. विश्वास करें अथवा ना करें ,लेकिन होता यही है. शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाने का प्रस्ताव था. पहले लगा भी था, लेकिन पता नहीं क्यों सारे ट्रैफिक सिग्नल कबाड़ बन गए. लेकिन उसके बाद उसे लगाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए .पानी की समस्या तो सबके सामने है. बहुत हो हल्ला के बाद तो धनबाद की लाइफ लाइन बैंक मोड़ फ्लाईओवर की मरम्मत का काम शुरू हुआ है. लेकिन गया पुल अंडर पास चौड़ीकरण का काम कागजों के मकड़ जाल में उलझा हुआ है.
कब मिलेगा लोगों को इन समस्याओं से निजात
शहर में ऑटो के प्रवेश के लिए भी नियम बनाने की घोषणाएं होती रही. पहले बना भी था लेकिन फिर सब कुछ पुराने ढर्रे पर चल रहा है. नवनिर्मित वेंडिंग जोन अभी तक आबाद नहीं हुआ. सड़कों पर दुकान तब भी लगती थी और अब भी लग रही है. ट्रैफिक की समस्या धनबाद के लोग पहले भी झेल रहे थे, अब भी झेल रहे हैं. त्यौहार का सीजन अब तो खत्म हो गया है. आज यानी गुरुवार से लग्न भी शुरू हो गए हैं. शादी विवाह की खरीदारी के लिए बाजार में भीड़भाड़ भी होगी. लेकिन सब कुछ उन्हें पुराने तरीके से ही झेलना होगा. शहर अथवा जिले के विकास का पैमाना उपलब्ध सुविधा होती हैं .धनबाद को आप किस कैटेगरी में रखेंगे, इसका निर्णय तो आपको खुद ही करना होगा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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