टीएनपी डेस्क(Tnp Desk):-बरसात के मौसम में डेंगू पांव पसारने लगता है. बारिश के मौसम में होने वाली इस बीमारी को सबसे खतरनाक माना जाता है. इसकी जद में अच्छी संख्या में लोग आ जाते हैं. लोहनगरी जमशेदपुर में डेंगू एक महामारी का रुप लेता जा रहा है. मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. जुलाई से अभी तक 435 मरीज मिल चुके हैं. डेंगू के चलते तीन लोगों की मौत हो गयी , डर का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर सचेत हो गया है . इसकी रोकथाम के लिए उपाय किए जा रहे हैं.
बकरी की दूध की बढ़ी कीमत
डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स बढ़ाने की जरुरत पड़ती है. लिहाजा लोग बकरी के दूध को पीते हैं. ताकि उनके प्लेटलेट्स बीमारी के दौरान कम न हो और ये बढ़े. डेंगू के चलते बकरी के दूध की कीमत गाय के दूध की तुलना में बीस गुना ज्यादा बढ़ गई है. इतना ही नहीं बकरी का दूध खोजने से भी नहीं मिल रही है. जमशेदपुर में तीन महीने पहले लोग बकरी के दूध 200 रुपए लीटर खरीदते थे. लेकिन, आज इसके दूध की कीमत 1000 रुपए लीटर पर पहुंच गया है. काफी मशक्कत के बाद एक व्यक्ति को 100 से 150 मिलीलीटर तक ही दूध उपलब्ध होता है.
खोजने से नहीं मिल रहा बकरी का दूध
डेंगू के बढ़ते प्रकोप को चलते मरीजो को बकरी का दूध फायदेमंद होता है. लेकिन, हालात ये है कि यह दूध ही काफी मश्शकत से मिल रहा है. रोगियों के परिजन दूर-दराज इलाकों में बकरी पालको से मिलकर दूध का जुगाड़ कर रहे हैं और इसकी मुंहमांगी रकम देने को भी तैयार है. कई लोगों को तो खाली हाथ लोटना पड़ रहा है. कुछ लोग तो 100 मिलीमीटर दूध के लिए 200 रुपए तक देने को तैयार हैं.
बकरी के दूध के फायदे
डेंगू में बुखार के चलते शरीर प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगती है. जिससे डेंगू से रिकवर होने में काफी वक्त लग जाता है . लेकिन, इस बीमारी में बकरी का दूध चमत्कारिक रुप से फायदा पहुंचाता है. दरअसल, बकरी के दूध में वामिन-बी6, बी12, सी और डी की मात्रा कम पाई जाती है. इसमें फोलेट बाइंड करने वाले अवयव की मात्रा ज्यादा होने से फोलिक एसिड नामक जरुरी विटामिन होता है. बकरी के दूध की एक विशेषता ये होती है कि इसके दूध में मौजूद प्रोटिन गाय, भैंस की तरह जटील नहीं होता है. इसलिए बकरी का दूध पचाना भी आसान होता है. इसके साथ ही यह रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है. कई रिसर्च में ये भी पता चला है कि इसके दूध में एक खास तरह के प्रोटिन पाये जाते हैं, जो डेंगू, चिकनगुनिया में भी काम करता है.
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