दुमका (DUMKA) : झारखंड में खेल प्रतिभा की कमी नहीं है , जिसे देखते हुए पिछले कुछ वर्षों से शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए खेलो झारखंड नामक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. इसके द्वारा प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर पर सफल होने वाले प्रतिभागी को राज्य स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है. यह अच्छी पहल है क्योंकि आज के समय में खेल में कैरियर की अपार संभावनाएं हैं. ग्रामीण स्तर पर छिपी खेल प्रतिभा को उचित मंच नहीं मिलने से प्रतिभा कुंठित हो जाती है. उस लिहाज से सरकार का यह प्रयास बेहद सराहनीय है.
आईटीआई मैदान में प्रतियोगिता का आयोजन
इस वर्ष भी प्रखंड स्तर पर खेलो झारखंड प्रतियोगिता की शुरुवात हो चुकी है. दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड में 2 दिवसीय खेलो झारखंड प्रतोयोगिता चल रहा है. प्रखंड के आईटीआई मैदान में प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. सरकारी आयोजन है तो निश्चित रूप से फंड मुहैया किया गया होगा. तभी तो मंच से लेकर पुरष्कार और प्रतिभागियों के खाने तक कि व्यवस्था की गई है. लेकिन अगर किसी चीज की कमी देखी गयी तो वह है स्थल पर मेडिकल टीम की अनुपस्थिति. फर्स्ट ऐड के नाम पर बैंडेज पट्टी के सिवाय कुछ नहीं.
सुकुरमुनि का इलाज जारी
खबर के शुरुवात में ही हमने कहा कि ठोकर लगने के बाबजूद सबक लेने के लिए शिक्षा विभाग तैयार नहीं है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसके लिए आपको थोड़ा फ़्लैश बैक में लेकर चलते हैं. पिछले महीने The News Post ने जरमुंडी के कैराजोरी की रहने वाली सुकुरमुनि का दर्द दिखाया था. मीडिया की पहल पर फिलहाल उसका इलाज चल रहा है. सुकुरमुनि पिछले वर्ष सम्पन्न खेलो झारखंड प्रतियोगिता में कबड्डी खेल में शिरकत के दौरान चोटिल हो गयी. स्थल पर फर्स्ट ऐड कर उसे भेज दिया गया. लेकिन समय के साथ सुकुरमुनि का जख्म नासूर बन गया. एक वर्ष से सुकुरमुनि दर्द से कराहती रही लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं पहुचा.
चोटिल प्रतिभागी को सीएचसी ले जाकर कराया जाएगा इलाज
एक बार फिर वही गलती जरमुंडी में शिक्षा विभाग दोहरा रही है. मेडिकल टीम के बगैर खेल का इतना बड़ा आयोजन कर रही है. इस बाबत जब मंचासीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मेडिकल टीम को सूचित किया गया था लेकिन मेला ड्यूटी में होने के कारण टीम नहीं पहुचीं. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में चोटिल प्रतिभागी को सीएचसी लेजाकर इलाज कराया जाएगा. विशेष परिस्थिति में एक फोन काल पर डॉक्टर ने प्रतियोगिता स्थल पर पहुचने का भरोशा दिया है.
विभाग की लापरवाही सुकुरमुनि चलने फिरने में लाचार
हम भी प्रतियोगिता के सफल आयोजन के पक्षधर हैं. क्योंकि सरकार की यह सराहनीय पहल है. लेकिन विभाग की लापरवाही किसी के जीवन को गर्त में डाल दे इसे उचित नहीं कहा जा सकता. आखिर पिछले वर्ष सुकुरमुनि ने भी एक सपना देखा था. खेल की दुनिया मे अपना परचम लहराने का. खेल के माध्यम से अपना करियर बनाने का। अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार की आर्थिक उन्नति में सहभागी बनने का। लेकिन उसे मिला क्या? विभाग की लापरवाही ने सुकुरमुनि को अपने पैरों पर खड़ा होने के बजाय चलने फिरने में भी लाचार बना दिया.
इसलिए विभाग को इस गलती से सबक लेनी चाहिए. उम्मीद की जानी चाहिए कि जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर पर होने वाली इस प्रतियोगिता में गलती ना दोहराया जाए. ताकि बेफिक्र होकर प्रतिभागी हर खेल में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा सके.
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