रांची(RANCHI): प्रवर्तन निदेशालय ने टेंडर कमीशन घोटाले में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम, उनके पीएस रहे संजीव लाल और नौकर जहांगीर आलम के खिलाफ ईडी ने पीएमएलए के विशेष कोर्ट में दायर किये गए चार्जशीट में कई दावे किये है. ईडी ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाये है.
बड़े अफसरों को 1.50 प्रतिशत दिया जाता था
ईडी ने चार्जशीट में कोर्ट को बताया कि नेताओं और अफसरों की गठजोड़ से टेंडर के वर्क ऑडर आवंटन में कमीशन ली जाती थी. सभी टेंडर करीबियों को देते थे और कमीशन में लाखों रूपए लेते थे. इसमें मंत्री, अधिकारी और इंजीनियर का संगठित गिरोह सक्रिय था. कमीशन के बंटवारे के लिए अधिकारी और नेता कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे. ईडी ने नमूने के तौर पर जनवरी में निकले 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक दस्तावेज भी चार्जशीट में लगाया है. इसमें लिखा है कि मंत्री आलमगीर आलम ने 25 टेंडर के एवज में 1.23 करोड़ रूपए लिये थे. उमेश नाम के व्यक्ति को 1.75 करोड़ व ऑफिस के लिए 3.46 करोड़ रूपए का भुगतान का भी जिक्र है. आलमगीर के कार्यकाल में कमीशन के तौर पर करीब 3000 करोड़ रूपए वसूले जाने और उसके लॉन्ड्रिंग का आरोप ईडी ने अपने आरोप पत्र में लगाया है. विभागीय मंत्री के लिए विकास योजनाओं में डेढ़ प्रतिशत कमीशन निर्धारित था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जहांगीर के घर बरामद रूपए विकास योजनाओं में बतौर कमीशन वसूले गए थे. बड़े अफसरों के लिए कमीशन की दर 0.75 से 1.50 प्रतिशत तक निर्धारित था.
टेंडर घोटाले मामले मे हुई थी गिरफ़्तारी
टेंडर कमीशन घोटाला में ईडी ने संजीव लाल और जहांगीर को 6 मई को गिरफ्तार किया था और मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी 15 मई को हुई थी. संजीव लाल उनके नौकर व सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी ईडी द्वारा की गई थी. जहांगीर आलम के घर से 32.20 करोड़ रूपए जब्त किये गए थे. अभी टेंडर कमीशन घोटाले के तीनों आरोपी बिरसा मुंडा जेल में बंद है.
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