दुमका(DUMKA): 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर पूरे देश मे कई तरह के खेल का आयोजन होता है. केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई तरह की योजनाएं चलाई जाती है. झारखंड सरकार भी कई योजनाएं चलाकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करती है. वजह साफ है कि आज के समय में खेल के क्षेत्र में कैरियर की अपार संभावनाएं हैं. झारखंड से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में कई ऐसे खिलाड़ी हुए जो अपनी खेल प्रतिभा के बदौलत अपार धन, दौलत और शोहरत कमाई.
जिला प्रशासन द्वारा आयोजित हुई प्रतियोगिता लेकिन जिला खेल संघ रहा उदासीन
खेल दिवस के अवसर पर दुमका में जिला प्रशासन की ओर से कमार दुधानी स्टेडियम में 4 तरह के खेलों का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन ताज्जुब की बात है कि इस अवसर पर 3 दिनों तक गुलजार रहने वाले इंडोर स्टेडियम में ताला लटका हुआ है. हम आपको बताते है इंडोर स्टेडियम में ताला लटके रहने की वजह.
राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर इंडोर स्टेडियम में क्यों लटका है ताला
दुमका जिला में खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला खेल संघ कुछ वर्षों से काफी सक्रिय भूमिका निभाती थी. इस वर्ष में संघ द्वारा राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर 3 दिवसीय 15वीं इंडोर खेल प्रतियोगिता का आयोजन होना था. जिसके तहत विभिन्न वर्गों में शतरंज, कैरम, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, ताईक्वांडो, कराटे, पावर लिफ्टिंग और बास्केट बॉल की प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया गया था. प्रतियोगिता में भाग लेने वालों के लिए ₹100 से ₹1000 तक इंट्री फी भी निर्धारित किया गया था. लेकिन प्रसासनिक स्तर से इंडोर स्टेडियम की अनुमति नहीं मिली. उसके बाद संघ द्वारा आउटडोर स्टेडियम में दौड़ प्रतियोगिता आयोजित कर खेल दिवस पर खाना पूर्ति की गई. इस बाबत संघ के सचिव उमा शंकर चौबे ने कहा कि प्रतियोगिता को फिलहाल स्थगित किया गया है. जल्द ही प्रतियोगिता की शुरुवात की जाएगी.
क्यों नहीं मिली इंडोर स्टेडियम की अनुमति
सवाल उठना लाजमी है कि खेल दिवस के मौके पर भी जिला खेल संघ को आखिर इंडोर स्टेडियम की अनुमति क्यों नहीं मिली? इस बाबत एसडीओ कौशल कुमार ने कहा कि संघ द्वारा इंडोर स्टेडियम के लिए निर्धारित शुल्क जमा नहीं करने के कारण अनुमति नहीं दी गयी, जबकि संघ द्वारा इंट्री फी भी निर्धारित किया गया है. इस बाबत संघ के सचिव का कहना है कि 1995 से संघ को इंडोर स्टेडियम निःशुल्क मिलता रहा है. उम्मीद थी कि इस बार भी मिल जाएगा लेकिन वैसा नहीं हो पाया.
अधिकारी को संघ में दिया गया है पद लेकिन उन्हें नहीं है पता
जिला खेल संघ के लेटर पैड को देखें तो इसमें डीसी को प्रेसीडेंट, एसपी, डीडीसी और एसडीओ को वाईस प्रेसीडेंट बनाया गया है, जबकि उमा शंकर चौबे सचिव के पद पर हैं. लेकिन अधिकारियों को पता ही नहीं है कि वे जिला खेल संघ के पद पर आसीन हैं. एसडीओ कौशल कुमार का कहना है कि उन्हें खुद पता नहीं है कि वे जिला खेल संघ के वाईस प्रेसीडेंट के पद पर हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर अधिकारियों की सहमति के बगैर संघ में पद पर आसीन करने के पीछे संघ की क्या मंशा है? वहीं इस सवाल के जबाब में सचिव उमा शंकर चौबे ने कहा कि कुछ कंम्यूनिकेशन गैप हुआ है. शीघ्र ही मिल बैठ कर समस्या का समाधान कर लिया जाएगा.
खेल दिवस पर खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का नहीं कर पाए प्रदर्शन
अंदर की कहानी चाहे जो भी हो लेकिन इतना जरूर है कि इन दिनों जिला खेल संघ और अधिकारियों के बीच तालमेल ठीक नहीं है. जिसका खामियाजा जिले के खिलाड़ियों को भुगतनी पड़ रही है. अगर संघ खिलाड़ियों के हित के बारे में सोचता तो इंडोर स्टेडियम का निर्धारित शुल्क जमा कर भी प्रतियोगिता सम्पन्न करा सकता था. एक तो संघ का अपना कोष होगा वही दूसरी ओर संघ द्वारा इंट्री फी रखा गया था. इतने बड़े आयोजन में अकसर प्रायोजक भी मिल ही जाते हैं. वैसे सचिव ने शीघ्र ही प्रतियोगिता कराने का भरोशा दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे प्रतियोगिता होती है या फिर खेल प्रतिभा कुंठित होती है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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