दुमका(DUMKA):विरासत की राजनीति के सहारे विधायक से मंत्री तक का सफर बसंत सोरेन ने अपने एक ही कार्यकाल में पूरा कर लिया.सूबे की सियासत इतनी तेजी से बदली कि एक पल में ही हेमंत सोरेन वर्तमान से पूर्व मुख्यमंत्री हो गए. ईडी की गिरफ्त में जाने से पहले झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने सीएम का ताज चंपाई सोरेन को दिया तो संगठन को एकजुटता के साथ आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अपने अनुज सह दुमका विधायक बसंत सोरेन को दी. बसंत सोरेन ने जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करते हुए झामुमो के घटक दलों के तमाम विधायकों को एकजुट रखा और सदन में बहुमत साबित किया. बदले राजनीतिक हालात में बसंत सोरेन ने नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया, जिससे संगठन में उनका कद बढ़ा.संभावना जताई जा रही थी कि बसंत सोरेन को मंत्रिमंडल में बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी और वैसा ही हुआ.पथ निर्माण, भवन निर्माण सहित जल संसाधन जैसा महत्वपूर्ण विभाग मिला.
कांग्रेस के एक दर्जन विधायक भी नाराज चल रहे हैं
यह बड़ी जिम्मेदारी बसंत के लिए फूलों का सेज है या कांटों का ताज, यह चर्चा आम हो गयी है, क्योंकि मंत्री मंडल विस्तार के बाद नाराज झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम ने 2 दिनों का अल्टीमेटम दे दिया है. कांग्रेस के एक दर्जन विधायक भी नाराज चल रहे हैं.एक सवाल और जो लोगों के जेहन में उठ रही है कि मंत्रिमंडल गठन के बाद जामा विधायक सह बसंत सोरेन की बड़ी भाभी सीता सोरेन नए मंत्रिमंडल से कितना खुश है. वैसे अभी तक सीता सोरेन का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बदले राजनीतिक हालात में मंत्री बनने की अपेक्षा तो जरूर रही होगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि इन तमाम मुद्दों का समाधान करते हुए बसंत सोरेन घटक दलों को साथ लेकर सरकार के साथ साथ अपने संगठन को दूर तलक ले जाने में कामयाब होंगे.
बसंत सोरेन को पद मिला, कद बढ़ा तो जिम्मेदारी भी बढ़ी है
बसंत सोरेन को पद मिला, कद बढ़ा तो जिम्मेदारी भी बढ़ी है.कुछ महीने बाद लोक सभा का चुनाव होना है. झामुमो के अध्यक्ष दिसोम गुरु अस्वस्थ्य चल रहे हैं, कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन सलाखों के पीछे हैं.इस स्थिति में सारा दारोमदार बसंत के कंधों पर है. गठबंधन की एकता को बरकरार रखते हुए आगामी लोक सभा और विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने में बसंत सोरेन कामयाब होते है या नहीं यह तो समय बताएगा लेकिन इतना सत्य है कि मंत्री बनने के बाद झारखंड की उपराजधानी दुमका के लोगों की अपेक्षाएं बढ़ी है.वर्ष 2020 में हुए विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी नेत्री डॉ लुईस मरांडी को पराजित कर विधायक बनने वाले बसंत सोरेन जब पहली बार मीडिया से रूबरू हुए थे तो उन्होंने बस इतना ही कहा था कि दुमका को उपराजधानी का दर्जा तो दे दिया गया , लेकिन उपराजधानी की तरह सजाया संवारा नहीं जा सका है. दुमका को उपराजधानी के तर्ज पर संवारना उनकी प्राथमिकता होगी. विधायक रहते उन्होंने कई ऐसे काम भी किए, लेकिन अब जब मंत्री बन गए हैं तो लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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