धनबाद(DHANBAD): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अबूझ पहेली हैं और शायद इसीलिए एक समय लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि नीतीश के आंत में दांत है. कुछ ना कुछ ऐसा कर देते हैं कि लोगों को चर्चा का अवसर मिल जाता है. फिर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगते है. सोमवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती समारोह में पहुंचकर नीतीश कुमार ने सब को चौंका दिया. हालांकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे. इसके पहले उन्होंने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने उस समय उनके आवास पर पहुंचे, जब लालू प्रसाद यादव राजगीर के प्रवास पर थे. अब इसके बाद तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. दो-तीन बातें उठाई जा रही है.
तो क्या सचमुच भीतर ही भीतर चल रहे है नाराज
एक तो राजनीतिक पंडित यह मानते हैं कि इंडिया गठबंधन में उनको संयोजक नहीं बनाए जाने से भीतर -भीतर वह नाराज चल रहे है. इंडिया गठबंधन को कुछ संदेश देने की कोशिश कर रहे है. हो सकता है कि यह दबाव की राजनीति हो. यह भी हो सकता है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होकर नीतीश कुमार वोटरों को यह संदेश देने की कोशिश की हो कि हम लोग भी हिंदुत्व के पोषक है. बहरहाल, जो भी हो लेकिन इंडिया गठबंधन से नीतीश कुमार अगर हिलते-ढुलते हैं तो भाजपा के लिए "बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने वाली बात होगी" क्योंकि भाजपा तो यह चाह ही रही है कि नीतीश कुमार फिर से एनडीए में आ जाए.
विपक्षी दलों को एक करने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका
इधर, विपक्षी दलों को एक करने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही है. उसे भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. नीतीश कुमार चाहते थे कि विपक्षी दल उन्हें प्रधानमंत्री का चेहरा प्रोजेक्ट करें लेकिन अभी तक कुछ ऐसा हुआ नहीं है. वैसे, भी धनबाद के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि नीतीश कुमार दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेई की जयंती समारोह में भी शामिल हुए थे. लेकिन उसी के साथ उनका तर्क था कि हो सकता है कि वाजपेई मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार मंत्री रह चुके है. इसलिए गए हो. बहरहाल, अभी तो यह भविष्य के गर्भ में है कि नीतीश कुमार का मन डोल रहा है या वह दिखावा कर रहे है. हालांकि तेजस्वी यादव ने सोमवार कहा कि यह सब एक एजेंडा के तहत दुष्प्रचार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा कि यह सब पूरा बकवास है. लेकिन अगर कुछ होता है तो उसके क्या असर होंगे, यह तो चर्चा की बात बन ही गई है.
54 लोकसभा सीटों का जो सवाल है
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और झारखंड में 14 यानी कुल 54 सीट पर भाजपा की नजर है. और इस बात से किसी को इनकार नहीं हो सकता कि नीतीश कुमार रिजल्ट ओरिएंटेड फैक्टर होते है. पिछले चुनाव परिणाम इसके उदाहरण हो सकते है. ऐसे में भाजपा जरूर चाहेगी कि नीतीश कुमार को शामिल कर लिया जाये. हां, एक बात और कही जा रही है कि G-20 कार्यक्रम में रात्रि भोज में भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की तस्वीर खूब वायरल की गई और तरह-तरह के कयास लगाए गए. जो भी हो बीजेपी की नजर बिहार और झारखंड के 54 लोकसभा सीटों पर है तो इंडिया गठबंधन भी नजर गड़ाए हुए है. फिलहाल चर्चाओं का बाजार गर्म है और राजनीतिक पंडित अपने-अपने तरीके से इसका आकलन कर रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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