धनबाद(DHANBAD) : धनबाद के राजनीतिक संत एके राय की पार्टी का उनके अनुआइयो ने विलय तो कर लिया है, लेकिन 2024 का चुनाव उनके इस निर्णय पर या तो मुहर लगाएगा या फिर ऐसा करने वालों की किरकिरी होगी. दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले मासस और माले एक हुए है. दावा किया जा रहा है कि वाम विचारधारा को ताकत देने के लिए यह विलय किया गया है. ऐसा करने से झारखंड में इंडिया गठबंधन मजबूत होगा. माले के टिकट पर निरसा से अरूप चटर्जी और सिंदरी से बबलू महतो चुनाव लड़ रहे है. दोनों विधानसभा सीटों का परिणाम यह बताएगा कि निर्णय सही था अथवा गलत. निरसा और सिंदरी पहले से ही लाल झंडा का गढ़ रहे है.
2019 में मासस से लड़ रहे अरूप चटर्जी चुनाव हार गए थे
धनबाद के राजनीतिक संत एके राय की पार्टी का उनके अनुआइयो ने विलय तो कर लिया है, लेकिन 2024 का चुनाव उनके इस निर्णय पर या तो मुहर लगाएगा या फिर ऐसा करने वालों की किरकिरी होगी. दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले मासस और माले एक हुए है. इस बार भी भाजपा की ओर से अपर्णा सेनगुप्ता माले के अरूप चटर्जी के खिलाफ मैदान में है. अरूप चटर्जी भी निरसा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे हैं, तो अपर्णा सेन गुप्ता भी दो बार की विधायक है. यह अलग बात है कि 2005 में अपर्णा सेनगुप्ता फारवर्ड ब्लाक के टिकट पर चुनाव जीती थी. सिंदरी का हाल भी कमोवेश वही है. 2000 के बाद से हुए चुनाव में मासस हमेशा दूसरे नंबर पर रही. 2024 के चुनाव में माले और मासस की सम्मिलित शक्ति के साथ पूर्व विधायक आनंद महतो के बेटे बबलू महतो चुनाव मैदान में है.
2024 के चुनाव में सिंदरी और निरसा में कड़ी टक्कर
2024 के चुनाव में सिंदरी और निरसा में भाजपा को कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद की जा रही है. यह अलग बात है कि माले इस बार निरसा और सिंदरी सीट पर भाजपा को शिकस्त देने की हर संभव कोशिश कर रही है. निरसा से झामुमो के नाराज नेता अशोक मंडल जेएलकेएम से उम्मीदवार बन गए है. तो सिंदरी सीट से विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी को भाजपा ने मैदान में उतारा है. यह अलग बात है कि तारा देवी को भितरघातियों से भी निपटना पड़ेगा. तो निरसा में भी यही हाल होगा. देखना दिलचस्प होगा कि भीतरघात के इस खेल से पार्टिया कैसे उबर पाती है. अगर सिंदरी और निरसा सीट माले के खाते में नहीं गई, तो फिर एके राय के अनुयायियों के निर्णय पर बड़ा सवाल खड़ा होगा.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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