DHANBAD!! डीजल भरा टैंकर का ढक्कन खोला हेल्पर और उड़ गया आग में , जानिए इस विनाशलीला को


धनबाद(DHANBAD) | बिहार के छपरा के रहने वाले सुनील कुमार राय को क्या मालूम था कि टैंकर का ढक्कन खोलना उनकी मौत का कारण बनेगा. झरिया के ऐना आरके ट्रांसपोर्ट आउटसोर्सिंग परियोजना में शनिवार के अपराहन हुई घटना ने बीसीसीएल सहित अन्य संस्थानों को भी सचेत रहने के लिए मजबूर कर दिया है. फायर एरिया में टैंकर से पेट्रोलियम पदार्थ खाली करने की कोई अलग व्यवस्था बीसीसीएल को करनी होगी, इस घटना से तो यही बात सामने आ रही है. आखिर फायर एरिया में इस तरह डीजल, पेट्रोल खाली ही क्यों किए जाते है. यह बात अलग है कि मुआवजा देकर आउटसोर्सिंग प्रबंधन पल्ला झाड़ लेगा लेकिन आगे इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी, इसकी गारंटी कौन देगा. शनिवार अपराहन ऐना आरके ट्रांसपोर्ट आउटसोर्सिंग परियोजना में आग भड़कने से हेल्पर की मौत के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई थी.
चारो ओर से आ रही थी भागो -भागो और बचाओ -बचाओ की आवाज
पूरी परियोजना धुआं धुआं हो गई, भागो -भागो और बचाओ -बचाओ की आवाज हर जगह से आने लगी थी. स्थिति सामान्य तब हुई जब आग पर काबू पा लिया गया. हालांकि इसके पहले सब कुछ स्वाहा हो चुका था. आग की लपटें इतनी जोरदार थी कि जिस टैंकर को डीजल खाली कराने के लिए ले जाया गया था, उसमें भी आग लग गई. वह तो चालक की चतुराई थी कि वह उसी हालत में टैंकर को लेकर पानी वाले स्थान पर भागा और आज बुझाई जा सकी. सुनील राय जैसे ही टैंकर का ढक्कन खोला, जोरदार विस्फोट हो गया. आग की लपटों में हेल्पर उड़ गया. देखते-देखते आग की लपटें तेज हो गई, चल रही हवा आग की गति को और तेज कर दी. चारों तरफ धुआ धुआ ही था और आग की गति निरंतर बढ़ रही थी. हालांकि सूचना पर माइंस रेस्क्यू और फायर ब्रिगेड दल पहुंचा और आग पर काबू पाया. इस घटना से तो परियोजना के कर्मचारियों में आक्रोश चरम पर था.
पहली बार राशि का चेक पिता और विधवा के नाम से बना
इस घटना का एक दूसरा पक्ष भी है, मुआवजा की राशि का चेक सिर्फ पत्नी के नाम पर ही नहीं बना है. मृतक के पिता और पत्नी के नाम से बना है. ऐसा कराने में भाजपा नेत्री रागिनी सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही और शायद धनबाद में यह पहला मामला है, जब मुआवजा की राशि पत्नी और पिता के संयुक्त नाम से चेक बना हो. अमूमन कोलियरी और आउटसोर्सिंग परियोजनाओं में नौकरी के साथ- साथ मुआवजे के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते है. जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले रागिनी सिंह ने ही किसी आउटसोर्सिंग परियोजना में मृतक के आश्रित मुआवजा दिलवाई थी. पत्नी के नाम से चेक दिया गया था. इसके बाद विधवा ने दूसरी शादी कर ली और माता पिता को कुछ भी नहीं मिला. शायद इसी से सबक लेते हुए रागिनी सिंह ने तमाम विरोध के बावजूद संयुक्त रूप से चेक दिलवाया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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