धनबाद(DHANBAD) | धनबाद में माफिया. जिसने भी उनकी ताकत और जलवा देखा या सुना होगा ,कोयलांचल की जमीन फटने को जरूर उनसे जोड़ कर देख रहे होंगे. यह एक सच्चाई भी है. कोयलांचल में लोग गोफ में समा कर काल के गाल में जा रहे है. कुसुंडा के गोंदूडीह का यह पहला मामला नहीं है, जब गोफ में गिर जाने से मौत हुई हो. लेकिन यह और इसके पहले की घटनाओं ने कई सवालों को जन्म दिया है. लेकिन उन सवालों को सुनेगा कौन. कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के पहले तो निजी कोयला मालिक जैसे- तैसे कोयले का खनन किए, लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद भी कोयला खदानों की सही देखभाल नहीं हुई. धनबाद कोयलांचल के कई माफिया स्वर्ग सिधार गए, उनके "यूथ विंग" आज हैं लेकिन शायद वह भी यह सब देख कर हैरत में पड़े होंगे. धनबाद कोयलांचल में जब बिहार के मुख्यमंत्री पंडित बिंदेश्वरी दुबे हुआ करते थे और धनबाद के उपायुक्त मदन मोहन झा थे ,तो देश का एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आया था और यह घोटाला था बालू घोटाला.
जहां से कोयला निकला ,बालू के लिए तरस गई जमीन
जिन जगहों से कोयला निकाला गया, वहां सही ढंग से बालू की भराई नहीं की गई. उस समय के जानकार बताते हैं कि नियम था कि बालू भरने के बाद प्रेशर से पानी डालना है ताकि बालू जगह बना ले और आगे धसान का कोई खतरा नहीं हो. लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ हुआ नहीं. जानकार बताते हैं कि उस वक्त धनबाद कोयलांचल में बालू सप्लायरो की बाढ़ थी. बीसीसीएल को घुटने पर लाकर मनमाफिक दर बालू सप्लायर तय करवा लेते थे. बालू सप्लाई करने वालो को सूर्यदेव सिंह का भी शह मिलता था. नतीजा होता था कि महीनों हड़ताल चलती थी और फिर बालू के रेट में बढ़ोतरी होती थी. फिर एरियर भुगतान की बारी आती थी तो उसमें माफिया को हिस्सेदारी होती थी. माफिया का डर इतना अधिक था कि कोई कुछ बोलता नहीं था. लेकिन जब मदन मोहन झा धनबाद आए और उन्होंने माफिया उन्मूलन अभियान शुरू किया तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आया. उन्होंने माफिया डर के मिथक को भी तोड़ दिया. कालांतर में भूमिगत आग बुझाने के कई प्रयास किये गए लेकिन सारे के सारे उत्साह में अधिक और विश्वास में कम दिखे. फिलहाल परिवर्तन निदेशालय की टीम धनबाद के बालू माफिया पर शिकंजा कस दिया है.
बिहार में काम और धनबाद में ढेरा
करवाई तो बिहार के आरा से लेकर औरंगाबाद तक सोन नदी के बालू से तेल निकालने को लेकर हो रही है लेकिन बालू माफिया के रूप में जिन लोगों को चिन्हित किया गया है, उनका या उनके किसी परिचित का या फिर उनके गिरोह का या फिर परिवार के किसी का संबंध धनबाद के बालू माफिया से भी रहा है. यह संयोग ही है कि इधर, धनबाद के कथित बालू माफिया जगनारायण सिंह और उनके बेटे सतीश कुमार सिंह को ईडी ने पटना में गिरफ्तार किया और उसके दूसरे दिन धनबाद के कुसुंडा के गोंदूडीह में तीन महिलाएं जमीन में समा गई. यह घटना भी निश्चित रूप से कोयला उत्खनन के बाद बालू भराई सही ढंग से नहीं करने का ही परिणाम है. वैसे भी फिलहाल धनबाद में जितनी आउटसोर्सिंग कंपनियां चल रही हैं, उनका भी कामकाज का तरीका बेहद खतरनाक है. बहुत पहले चली भूमिगत खदानों के पीलर को बेतरतीब ढंग से काटा जा रहा है. नतीजा है कि लोग कीड़े- मकोड़े की तरह जमीन में समाकर काल के गाल में समा रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+