धनबाद(DHANBAD) | धनबाद लोकसभा से आमने-सामने लड़ने वाले दोनों प्रत्याशियों के समर्थक अपने अपने प्रत्याशियों की जय-जय कर रहे है. सब अपने ढंग से गुणा- भाग कर रहे हैं और जीत के दावे कर रहे है. कोई कहता है कि हमारी पार्टी और प्रत्याशी 5 लाख वोटो से जीतेगा तो कोई कहता है कि हमारा प्रत्याशी तीन लाख वोटो से जीत दर्ज करेगा. कौन कितने वोट से जीतेगा, इसका आंकड़ा तो 4 जून को ही मिल पाएगा, लेकिन तब तक गुणा -भाग का दौरा चलता रहेगा. 2024 के धनबाद लोकसभा चुनाव में वोट का प्रतिशत बढ़ा है, यह अच्छा संकेत है, लेकिन साथ ही साथ बोकारो और चंदनकियारी में 2019 की तुलना में वोट का प्रतिशत कम हुआ है. 2019 में बोकारो में 53.08 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2024 में 52.86 प्रतिशत मतदान का आंकड़ा सामने आया है. इसी तरह चंदनकियारी में 2019 में 73.8 2% मतदान हुआ था जबकि 2024 में 72.98% मतदान हुआ है. सिंदरी, निरसा , धनबाद और झरिया चारों विधानसभा क्षेत्र में 2019 की तुलना में 2024 में वोट के प्रतिशत बढ़े है.
बढ़ा है कुल मतदान का प्रतिशत
2019 में क्रमशः सिंदरी में 71.49 प्रतिशत, निरसा में 67.79 प्रतिशत, धनबाद में 55.07 प्रतिशत, झरिया में 50. 60% वोटिंग हुई थी. 2024 में सिंदरी विधानसभा में 72.57 प्रतिशत, निरसा में 70.73 प्रतिशत, धनबाद में 56.49 प्रतिशत, झरिया में 55.84% मतदान होने का आंकड़ा सामने आया है. कुल मिलाकर 62.06 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2019 में 60.4 7% मतदान हुआ था. झरिया, धनबाद, निरसा और सिंदरी में मतदान का प्रतिशत बढ़ने से किस दल को कितना फायदा हो सकता है, इसका भी आकलन किया जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में दलों को भितरघात का भी खतरा था. इसका भी आकलन शुरू कर दिया गया है. चुनाव परिणाम के बाद यह मामला और अधिक तूल पकड़ सकता है. झरिया विधानसभा क्षेत्र अभी कांग्रेस के कब्जे में है जबकि निरसा , धनबाद, सिंदरी, बोकारो और चंदनकियारी सीट भाजपा के पासहै. वैसे, भाजपा का धनबाद में अपना इतिहास रहा है.
धनबाद भाजपा का गढ़ माना जाता है
भाजपा यहां से बंपर वोटो से जीतती रही है. इस बार भी भाजपा के लोगों को उम्मीद है कि जीत उन्हीं की होगी. तो कांग्रेस प्रत्याशी भी जीतने का ताल ठोक रही है.धनबाद में एके राय की पार्टी मासस भी चुनाव लड़ रही है. इतना तो तय है कि टाइगर जयराम महतो के उम्मीदवार और मासस के प्रत्याशी को कितना वोट आता है ,इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा. राजनीतिक पंडित भी उलझन में है और यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि कौन जीत रहा है. वैसे धनबाद लोकसभा सीट बीजेपी के लिए गारंटी वाली सीट मानी जाती है. 2004 के बाद कांग्रेस का उम्मीदवार यहां से जीत नहीं पाया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा धनबाद लोकसभा से चुनाव ही नहीं लड़ा है. जब-जब चुनाव हुए धनबाद लोकसभा सीट उसके गठबंधन के खाते में चली गई और इस वजह से झारखंड मुक्ति मोर्चा धनबाद से चुनाव नहीं लड़ पाया.झारखंड में 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है. अब 1 जून को संथाल की बारी है. संथाल परगना की तीनों सीट हॉट सीट बन गई है.
संथाल की सीटें बनी हॉट सीट
दुमका, गोड्डा और राजमहल सीट एनडीए के लिए भी प्रतिष्ठा मूलक है तो इंडिया ब्लॉक के लिए भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. इस बीच चौथी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रहे निशिकांत दुबे को गोड्डा में कड़ी चुनौती मिल रही है. अभिषेक झा के निर्दलीय खड़ा हो जाने से उनकी परेशानी बढ़ती दिख रही है .रविवार को तीर्थ पुरोहितों की बैठक में अभिषेक झा को समर्थन करने की बात कही गई .संथाल परगना के तीनों सीटों पर सबकी नजर लगी हुई है. दुमका में सीता सोरेन के चलते सीट चर्चा में है तो गोड्डा निशिकांत दुबे को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है. राजमहल में देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा बाजी मारता है या बागी विधायक का असर कुछ होता है. कुल मिला जुला कर कहा जा सकता है कि कोयलांचल की राजनीति अब संथाल परगना में शिफ्ट हो गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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