Dhanbad Loksabha : वोटिंग में अब केवल बीस दिन बाकी लेकिन वोटर अब तक नहीं दिख रहे मुखर


धनबाद(DHANBAD): शनिवार को 4 मई है और 25 मई को धनबाद लोकसभा क्षेत्र में मतदान होना है यानी मतदान में अब केवल 20-21 दिनों का समय रह गया है. लेकिन चुनाव प्रचार जिस रंग में होना चाहिए, उस ढंग से दिख नहीं रहा है. कम से कम दो राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों के पास संसाधन की कोई कमी नहीं है. फिर भी चुनाव प्रचार का रंग दिख नहीं रहा है. यह अलग बात है कि चुनाव को लेकर वोटर अभी तक मुखर नहीं हुए है. बात करने पर लोकल समस्याएं तो गिनाते जरूर हैं लेकिन वोट किसके पक्ष में करना है, इस सवाल पर किनारे से निकल जाते है. 2019 में धनबाद लोकसभा सीट से पशुपतिनाथ सिंह ने 4.86 लाख वोट से जीत दर्ज की थी. झारखंड में यह जीत का आंकड़ा सर्वाधिक था. लेकिन इस बार पशुपतिनाथ सिंह टिकट से वंचित कर दिए गए है. बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो भाजपा से उम्मीदवार है. कांग्रेस ने भी कई दावेदारों को खारिज करते हुए बेरमो की रहने वाली अनुपमा सिंह को टिकट दिया है. मासस प्रत्याशी जगदीश रवानी भी चुनाव मैदान में है. वह ग्रामीण परिवेश से आते है. भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो और कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह ने नाराज लोगों को मनाने की भरपूर कोशिश की है. यह अलग बात है कि ढुल्लू महतो के टिकट के बाद उपजी नाराजगी को कंट्रोल करने के लिए भाजपा के प्रदेश प्रभारी और संगठन मंत्री तक धनबाद पहुंचे.
नाराज को मनाने की सभी कर रहे प्रयास
उन लोगो ने कम से कम इतना तो कर ही दिया है कि सभी भाजपा नेताओं के हाथ मिलवा दिए हैं, दिल मिलने वाली बात का पता तो 4 जून को ही चलेगा. इधर , कांग्रेस उम्मीदवार को भी टिकट मिलने से कई लोग नाराज है. अनुपमा सिंह भी घर-घर घूम कर नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रही है. इसमें अब तक वह कितनी सफल हो पाई है, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन नाराज लोगों को साथ लेने का वह हर प्रयास कर रही है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र कई तरह की समस्याओं से घिरा हुआ है. बिजली, पानी की समस्या तो बनी हुई ही है, विस्थापन भी यहां सबसे बड़ी समस्या है. ट्रैफिक, सड़क भी समस्याओं की सूची में टॉप पर रहते है. ऐसी बात नहीं है कि यह समस्या 2024 की है, पहले से ही समस्याएं चली आ रही है. धनबाद को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह मिली नहीं है. धनबाद को एयरपोर्ट भी नहीं है, दिल्ली तक की सीधी ट्रेन भी नहीं है. प्रदूषण की समस्या मुँह बाए खड़ी है. धनबाद के जनप्रतिनिधियों से लोगों की अपेक्षाएं बहुत है. लोगों को उम्मीद थी कि झारखंड अलग राज्य बन जाने के बाद सरकार का ध्यान जाएगा और लोगों को सुविधा मिलेगी. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. वाटर चाहे शहरी क्षेत्र का हो, कोलियरी क्षेत्र का हो या ग्रामीण क्षेत्र का हो, किसी भी पार्टी का सपोर्टर हो, लेकिन फिलहाल वह मुखर नहीं दिखता. सिर्फ इतना भर कहता है कि समय आने पर निर्णय लिया जाएगा.
धनबाद संसदीय क्षेत्र अबतक सवर्ण का दबदबा रहा है
धनबाद संसदीय क्षेत्र में अब तक सवर्ण जातियों का दबा रहा है लेकिन इस बार भाजपा ने ओ बीसी कार्ड खेलते हुए बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो को उम्मीदवार बनाया है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र में शहरी (किसी भी केटेगरी के ) वोटर निर्णायक फैक्टर होते है. वैसे यहां निरसा , सिंदरी और चंदनकियारी में ग्रामीण वोटर भी कम नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में धनबाद विधानसभा में 55.3% वोटिंग हुई थी, जबकि झरिया में 50. 4% मत पड़े थे. इसी प्रकार बोकारो में 53.3 प्रतिशत मत पड़े थे ,जबकि चंदन कियारी विधानसभा क्षेत्र में 73.73 प्रतिशत, निरसा विधानसभा क्षेत्र में 67.79 प्रतिशत और सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में 71. 49 प्रतिशत वोट पड़े थे. वैसे धनबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल 60.37 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. धनबाद लोकसभा क्षेत्र में आते हैं झरिया, चंदन कियारी, निरसा,धनबाद,बोकारो और सिंदरी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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