Dhanbad Koyalanchal: भूमिगत आग और वायुमंडल में धुआं के शताब्दी वर्ष के बाद अब कैसे "तांडव" मचा रही जहरीली गैस!


धनबाद(DHANBAD): धनबाद कोयलांचल की भूमिगत आग और वायुमंडल में धुआं अपना शताब्दी वर्ष पार कर आगे निकल चुका है. 1919 में भौरा क्षेत्र में भूमिगत आग का पता चला था. धनबाद में स्थापित उस समय का भारतीय खनि विद्यापीठ(आईएसएम ) भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. धनबाद में एक नहीं, कई रिसर्च संस्थान रहते हुए धनबाद कोयलांचल 100 से अधिक वर्षों से आग , धुवाँ झेल रहा है. अब तो धरती का सीना चीर कर गैस भी निकलने लगी है. यह गैस आगे जाकर कहां-कहां से निकलेगी ,यह कहना थोड़ा कठिन है. पूरी जांच पड़ताल के बाद ही सही ढंग से कुछ कहा जा सकता है. धनबाद के केंदुआ डीह में गैस रिसाव से पूरे इलाके में दहशत फैला हुआ है. अधिकारियों की टीम पहुंच रही है, जांच पड़ताल हो रही है. गैस की मात्रा सामान्य से अधिक पाई जा रही है. यह गैस कार्बन मोनोऑक्साइड बताई जा रही है. आश्चर्य इस बात की है कि इतने समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया है. पहले कहा जाता था कि निजी खान मालिकों द्वारा बेतरतीब ढंग से कोयला खुदाई की वजह से भूमिगत आग भड़की है. लेकिन उस समय इतनी विकट स्थिति नहीं थी. इधर, भारत कोकिंग कोल् लिमिटेड ने आउटसोर्सिंग कंपनियों के आगे हथियार डाल दिया है. आउटसोर्सिंग कंपनियों को केवल कोयला उत्पादन से मतलब रहता है. इस वजह से सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए जाते है. कोयले के अवैध मुहाने भी बड़े कारण बनते है.
क्यों कहा जा रहा है है कि आउट सोर्स कंपनियों पर ब्रेक की जरुरत है ?
यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि आउटसोर्सिंग कंपनियों की पीठ पर किसी न किसी "मजबूत हाथ" का आशीर्वाद होता है. नतीजा है कि आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी चलती रहती है. लेकिन बात अब आग और धुएं से आगे निकल गई है और यह गैस रिसाव तक पहुंच गई है. बता दें कि बंद पड़ी भूमिगत केंदुआडीह कोलियरी के 13 और 14 नंबर सिम से से गैस रिसाव हो रहा है. गैस का असर केंदुआडी के राजपूत बस्ती, मस्जिद मोहल्ला ,ऑफिसर्स कॉलोनी सहित अन्य आबादी वाले इलाकों में देखा जा रहा है. लगातार गैस रिसाव से लोगों की परेशानी बढ़ रही है. दुर्गंध भी आ रही है. बुधवार की देर शाम प्रियंका देवी की मौत हुई थी, वहीं गुरुवार को ललिता देवी ने भी दम तोड़ दिया. क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक बच्चे -महिलाएं बीमार है. इलाके के लोगों को घटना आक्रोशित कर दिया है. संभावना व्यक्त की जा रही है कि कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का रिसाव हो रहा है. सूत्र बताते हैं कि बुधवार को मल्टी गैस डिटेकटर से की गई जांच में पता चला है कि 50 पीपीएम से अधिक गैस की मात्रा रिकॉर्ड की गई है.
50 पीपीएम से अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड खतरनाक होती है
जानकार बताते हैं कि 50 पीपीएम से अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड खतरनाक होती है. जिससे जहरीली गैस भी कहा जा सकता है. कुसुंडा क्षेत्र में कई जगहों पर छिद्र कर गैस निकल रही है. यह अलग बात है कि जहां से गैस निकल रही है, वह डेंजर जोन घोषित है.जानकार बताते है कि यह गैस बिषाक्त तब होती है, जब खून में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है. जब हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, तो कार्बन मोनोऑक्साइड लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन की जगह ले लेती है. जिससे खतरा हो सकता है. कार्बन मोनोऑक्साइड एक ऐसी गैस है, जिसका कोई गंध, स्वाद या रंग नहीं होता. यह गैसोलीन, लकड़ी,कोयला या चारकोल जैसे इंधनों के जलने से उत्पन्न होती है. कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में आने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत ताजी हवा में जाना चाहिए और तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए. सर दर्द, कमजोरी, चक्कर आना, उल्टी होना, सांस लेने में कठिनाई, धुंधली दृष्टि आदि इसके प्रभाव के लक्षण बताए जाते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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