धनबाद(DHANBAD): धनबाद में धन की कमी नहीं है. कुछ योजनाओं पर तो राशि आवंटित कर सरकार भी "कृपा" करती है लेकिन उसका कोई फायदा 29 लाख लोगों को नहीं मिलता है. इसके लिए सरकारी कामकाज का तरीका जिम्मेवार है या धनबाद के जनप्रतिनिधि.
राशि आवंटन के बावजूद धरातल पर नहीं उतरती योजनाएं
सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए वह सक्रिय नहीं रहते .जो भी हो लेकिन धनबाद के लिए दो महत्वपूर्ण सुविधा राशि आवंटन के बावजूद शुरू नहीं हुई. इनमें पहली योजना की गिनती सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के रूप में की जा सकती है. जबकि दूसरी लाभदायक योजना ट्रॉमा सेंटर की कहीं जा सकती है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए भी सरकार ने राशि वर्षों पूर्व आवंटित कर दी है. लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण यह योजना शुरू नहीं हो पाई. यह अलग बात है कि महीना पूर्व कचरा डंप करने को लेकर काफी विवाद हुआ. कई जगह से निगम की गाड़ी को लोगों ने वापस कर दिया. मारपीट तक हुई, केस मुकदमे तक हुए, लेकिन इसके बावजूद प्लांट नहीं बना. जमीन इसके लिए कारण बन गई.
जीटी रोड पर ट्रॉमा सेंटर नहीं होने के कारण कितनों की जा रही जान
जीटी रोड पर ट्रॉमा सेंटर के लिए भी राशि का आवंटन हुआ. जीटी रोड पर दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि नजदीक में ट्रॉमा सेंटर होना कितना जरूरी है. एक आंकड़े के अनुसार प्रत्येक साल जीटी रोड पर दो से ढाई सौ लोगों की जाने दुर्घटना में जाती है. मेडिकल चिकित्सा कहता है कि दुर्घटना का पहला घंटा किसी की भी जान बचाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इसे गोल्डन आवर कहा जाता है .अगर एक घंटे के भीतर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को समुचित इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. लेकिन यहां तो दुर्घटना होने के बाद घायल सड़क पर पड़े रहते हैं. फिर अगर किसी की नजर पड़ी तो उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और घायल व्यक्ति की जान चली जाती है.
धनबाद को अभी तक एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं मिला
धनबाद जिले में चार ट्रॉमा सेंटर का प्रस्ताव था. लेकिन अभी तक एक भी नहीं बना. महुदा में स्वास्थ्य केंद्र का चयन किया गया लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ी. इसके अलावा निरसा के CHP में ट्रॉमा सेंटर बनाने का प्रस्ताव बना. इस प्रस्तावित ट्रॉमा सेंटर के लिए 75 लख रुपए आवंटित किए गए. मशीन आदि खरीद के लिए यह राशि दी गई .लेकिन अब तक ना मशीन खरीदी गई और नहीं ट्रॉमा सेंटर का काम एक इंच भी आगे बढ़ा. यह हाल है धनबाद का, जहां धन की कोई कमी नहीं है. और सरकार भी योजनाओं के लिए राशि का आवंटित कर दी है. फिर भी योजनाएं संचिकाओं में धूल फांक रही है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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