धनबाद(DHANBAD): धनबाद की भूली रेंगु नी स्थित अशर्फी कैंसर अस्पताल की जमीन संबंधी विवाद का पटाक्षेप हो गया है. हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 अप्रैल 2024 को करते हुए कैंसर अशर्फी अस्पताल के पक्ष में अपना फैसला दिया है. कैंसर अशर्फी अस्पताल को झारखंड सरकार से लगभग 1 1.92 एकड़ जमीन आवंटित हुआ है. बाद में इस जमीन पर पाल बंधुओ ने दावा किया था. रेंगु नी मौजा में कुल 85 एकड़ जमीन पर विवाद चल रहा था. इसमें से 11.92 एकड़ जमीन राज्य सरकार ने अशर्फी हॉस्पिटल को कैंसर संस्थान के संचालन सहित अन्य कार्यों के लिए दिया है . बाद में यह जमीन विवादित हो गई. कैंसर अस्पताल के सीईओ हरेंद्र सिंह ने कहा है कि सरकार की वेबसाइट पर जिस जमीन पर कैंसर अस्पताल बना है, वह जमीन आज भी सरकार के खाते में है. कुछ लोग फर्जी कागजात के आधार पर इस जमीन पर दावा किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है.
अस्पताल संचालन के लिए सरकार से मिली थी जमीन
झारखंड सरकार ने नियमानुसार संस्थान को जमीन आवंटित की है. दावा किया गया है कि यह जमीन सरकारी है और सरकार ने नियम के मुताबिक अशर्फी कैंसर अस्पताल को जमीन आवंटित की है. जमीन को लेकर कैंसर अस्पताल के संचालन पर जो संशय के बादल मंडरा रहे थे, अब छंट गए है. यह अलग बात है कि कैंसर अस्पताल मैनेजमेंट को सुप्रीम कोर्ट तक इसकी लड़ाई लड़नी पड़ी. धनबाद में कैंसर अस्पताल की परिकल्पना ही अपने आप में एक बड़ी बात है. जब अस्पताल की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ तो लोगों की चिंताएं भी बढ़ी , धनबाद के लोग चाहते हैं कि अस्पताल का सुदृढ़ संचालन हो. धनबाद में अशर्फी अस्पताल लोगों को इलाज की अत्याधुनिक सुविधा दे रहा है. वैसे, भी धनबाद में चिकित्सा एक बड़ी समस्या है. सरकार का SNMMCH एक बड़ा अस्पताल है. लेकिन यह अस्पताल खुद ही "बीमार" रहता है. दावे तो बहुत किए जाते हैं लेकिन धनबाद में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था सुधरती नहीं है. धनबाद के SNMMCH पर यहां के जनप्रतिनिधियों का भी ध्यान नहीं है. "धनपशु" तो धनबाद में खुद का इलाज कराने के बजाय बाहर चले जाते है. बीसीसीएल का जगजीवन नगर में केंद्रीय अस्पताल है लेकिन उसकी भी व्यवस्था भी सुदृढ़ नहीं है. वहां भी बात-बात पर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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