देवघर(DEOGHAR): देवघर के चितरा में स्थित एसपी माइंस चितरा कोलियरी प्रबंधन के उदासीन रवैया के कारण बंदी के कगार पर आकर खड़ा हो गया है कोलियरी श्रमिक कल्याण निधि से संचालित डीएवी पब्लिक स्कूल चितरा. आज स्थिति यह है कि महीनों से शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी को वेतन नहीं मिल रहा है. स्कूल का भवन जर्जर हो रहा है. आठ बस के जगह पांच बसों में दो दो सिफ्ट में बच्चों को भेड़ बकरी की तरह भर कर लाया जाता है. पढ़ाई का स्तर भी गिर गया है. शिक्षक और डीएवी कर्मचारी वेतन नहीं मिलने से ढंग से पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं.
पूर्व स्पीकर के नेतृत्व में होगा आंदोलन
चितरा कोलियरी के अधिकारियों के अधिकांश बच्चे बाहर पढ़ते हैं, पहले स्कूल में अधिकारियों के बच्चे भी पढ़ते थे तो स्कूल पर विशेष नजर रखा जाता था. इस स्थिति के बारे में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता से डीएवी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चितरा कोलियरी का राष्ट्रीयकरण 1974 में हुआ. उसके बाद कोलियरी में तीन हजार से अधिक मजदूर, श्रमिक और अधिकारी काम करते थे. 1985 से ही कोलियरी श्रमिक संगठन का मुख्य मांग शिक्षा के लिए एक स्कूल, स्वास्थ्य के लिए अस्पताल, पेयजल, चितरा कोलियरी क्षेत्र से सम्पर्क सड़क और बिजली की समस्या का था. लगातार संघर्ष के बाद एक स्कूल की स्वीकृति इसीएल हेडक्वार्टर से मिली और 21 अगस्त 1995 में कोलियरी के दो सी- टाइप क्वाटर जिसमें आठ युनिट का आवास था उसी में स्कूल प्रारम्भ हुआ. उसके बाद लगातार एक अच्छा स्कूल भवन की मांग के लिए जोरदार आन्दोलन हुआ, खदान बंद कर हड़ताल हुआ और तत्कालीन महाप्रबंधक बीएनपी सिंह ने हेडक्वार्टर में स्कूल भवन के लिए सीएमडी के पास सारी स्थिति से अवगत कराया एवं कोयला मजदूरों से भी रिकॉर्ड उत्पादन और डिस्पैच का भरोसा दिया गया. तब जाकर एक भव्य स्कूल भवन मिला, जिसमें विश्व मजदूर दिवस एक मई 2000 से पढ़ाई शुरू हुआ.
इस स्कूल से पढ़ाई कर सैकड़ों बच्चे अच्छे अच्छे जगहों पर हैं. लेकिन इधर कुछ वर्षों से कोलियरी प्रबंधन के एकमात्र लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा कोयला उत्पादन करना और मुनाफा कमाना रह गया है. कोलियरी द्वारा श्रमिक वेलफेयर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि आज शिक्षक वेतन को लेकर हड़ताल पर चले गये जो काफी दुखद और गम्भीर विषय है.
जीएम ने तीन दिनों के अंदर सभी समस्याओं को हल कर लेने का दिया आश्वासन
झारखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता मेडिकल कारण से बाहर है. उन्होंने फोन से महाप्रबंधक को कड़ा संदेश दिया है. जीएम ने तीन दिनों के अंदर सभी समस्याओं को हल कर लेने का आश्वासन दिया है. भोक्ता ने कहा कि किसी भी कीमत पर स्कूल बरबाद होने नहीं दिया जाएगा. स्थानीय लोगों, विस्थापित परिवार और कोयला मजदूरों को अगर स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी के लिए तरसना पड़े तो कोयला उत्पादन बाधित किया जाएगा. पूर्व स्पीकर ने कहा कि स्थानीय लोग धुल, धुवां, प्रदुषण, पेयजल समस्या से जूझेंगे और करोड़ों का मुनाफा देंगे ये नहीं होगा. खदान चलाना है तो यहाँ के लोगों को सुविधा देना होगा. बताते चलें कि शिक्षकों द्वारा बेतन को लेकर हड़ताल पर चले जाने के बाद आक्रोशित स्थानीय अभिभावकों एवं श्रमिकों ने कोलियरी में डिस्पैच बंद करा दिया. बाद में महाप्रबंधक और एजेंट चितरा कोलियरी के अश्वासन के बाद कोलियरी चालू हुआ. पूर्व स्पीकर ने कड़ी चेतावनी दी है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उनके नेतृत्व में कोलियरी प्रबंधन के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाया जाएगा.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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